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किसान आंदोलन : साइकिल चलाकर पटियाला से दिल्ली पहुंचे 67 वर्षीय अमरजीत - किसानों के आंदोलन को समर्थन

दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन को समर्थन देने 67 वर्षीय अमरजीत सिंह साइकिल चलाकर पटियाला से सिंघु बॉर्डर पहुंचे. उनके समूह के दस अन्य सदस्यों ने पटियाला से 265 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय की.

साइकिल चलाकर पहुंचे दिल्ली.
साइकिल चलाकर पहुंचे दिल्ली.

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Published : Dec 21, 2020, 7:05 PM IST

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन पिछले कई दिनों से चल रहा है और आंदोलन के समर्थन में लोग अलग-अलग साधनों से प्रदर्शन स्थल पर पहुंच रहे हैं. इसी क्रम में 67 वर्षीय अमरजीत सिंह अपने दस अन्य साथियों के साथ साइकिल चलाकर पटियाला से सिंघु बॉर्डर पहुंचे.

प्रदर्शन में हिस्सा लेने पहुंचे अमरजीत सिंह पंजाब में सिंचाई विभाग में बतौर चीफ इंजीनियर सेवाएं दे चुके हैं और खेती-किसानी में भी सक्रिय हैं. 2015 में सेवानिवृत्त होने के बाद अब अमरजीत सिंह खेती करते हैं.

साइकिल चलाकर दिल्ली पहुंचे 67 वर्षीय अमरजीत सिंह

किसानों को समर्थन देने के लिए अमरजीत सिंह और उनके समूह के दस अन्य सदस्यों ने पटियाला से 265 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय करने का फैसला किया.

अमरजीत सिंह बताते हैं कि उन्हें साइकिलिंग का शौक शुरुआत से ही रहा है, लेकिन यहां आने के पीछे उनकी सोच अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने की है.

उनका मानना है कि जब लोग देखेंगे कि एक 67 वर्षीय बुजुर्ग इस ठंड के मौसम में ढाई सौ किलोमीटर से भी ज्यादा साइकिल चला कर किसान आंदोलन में शामिल होने आया है और इससे आंदोलन में शामिल अन्य बुजुर्ग किसानों का भी हौसला बढ़ेगा.

अमरजीत सिंह और उनके टीम में शामिल दस अन्य लोगों ने 24 घंटे से कम समय में पटियाला से दिल्ली की दूरी तय की और बीच में केवल करनाल (हरियाणा) में कुछ घंटों का आराम किया.

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कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध पर अमरजीत सिंह ने कहा कि सरकार को यह तीन कृषि कानून फिलहाल रोक देने चाहिए और किसानों से बातचीत कर उनके विचारों को शामिल कर कानून बनाने चाहिए. पहले कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान अध्यादेश के माध्यम से ये कानून लाए गए और बाद में संसद में भी इस पर विस्तृत चर्चा नहीं हो सकी और विधेयक पारित कर दिए गए.

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए बने कानूनों पर किसानों से ही कोई राय नहीं ली गई और अब जब किसान विरोध पर बैठ गए, तो सरकार वार्ता की पेशकश कर रही है.

अमरजीत सिंह का कहना है कि हजारों किसानों का संघर्ष जरूर रंग लाएगा और सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस लेना पड़ेगा.

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