अहमदाबाद : गुजरात में पिछले पांच दिनों से हड़ताल कर रहे कई रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को निर्णय किया कि वे 'कोविड योद्धा' का प्रमाण पत्र लौटा देंगे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने उनसे छात्रावास खाली करने के लिए कहा है और उनके बिजली एवं पानी का कनेक्शन काट दिया है. वहीं मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने चिकित्सकों से अपील की है कि हड़ताल खत्म करें और अनुबंध का सम्मान करें.
करीब दो हजार रेजिडेंट डॉक्टर अनुबंध सेवा समय अवधि के मुद्दे और सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन की मांग करते हुए चार अगस्त की शाम से हड़ताल पर चले गए। इनमें से अधिकतर ने हाल में परास्नातक पाठ्यक्रम को पूरा किया है. ये डॉक्टर अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के हैं.
गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल इस हड़ताल को 'अवैध' करार चुके हैं और चेतावनी दी थी कि अगर चिकित्सक काम पर नहीं लौटे तो उन पर महामारी रोग कानून लगाया जाएगा.
राजकोट में एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने कहा, 'कुछ दिनों पहले जब हम गांधीनगर शीर्ष अधिकारियों से मिलने गए, तो हमसे कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान काम का सबूत दिखाइए. सरकार द्वारा दिया गया यह 'कोविड योद्धा' प्रमाण पत्र इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि हमने अपने बारे में सोचे बगैर रोगियों के लिए दिन-रात काम किया.'
उन्होंने कहा, 'अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से कहा है कि छात्रावास खाली करें. पानी एवं बिजली के कनेक्शन भी काट दिए गए. महिला चिकित्सकों को बाहर रात बिताने के लिए मजबूर किया गया. यह अपमान है. इसलिए कई चिकित्सकों ने 'कोविड योद्धा' का प्रमाण पत्र लौटाने का निर्णय किया है.'