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कोरोना काल में आदिवासियों के विकास व आजीविका का रखा गया ध्यान : रेणुका सिंह

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Published : Mar 22, 2021, 9:51 PM IST

केंद्रीय आदिवासी कल्याण राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने लोक सभा में लिखित जवाब देते हुए कोरोना काल में आदिवासी हितों के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी. इस दौरान आदिवासियों के लिए सरकार द्वारा उठाए कदमों की सराहना भी की.

renuka Singh
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नई दिल्ली :केंद्रीय आदिवासी कल्याण राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने लोक सभा में लिखित जवाब दिया है. कहा है कि कोविड-19 में जनजातीय समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.

जनजातीय मंत्रालय के अनुरोध पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए गाइडलाइन के अनुरूप आदिवासियों द्वारा संग्रह कटाई व देशभर के जंगलों में माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस व टिंबर प्रोड्यूस की प्रोसेसिंग के लिए लॉकडाउन के प्रावधानों में छूट दी गई थी. रेणुका सिंह ने बताया कि केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने 15 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर संबंधित राज्य नोडल एजेंसियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस की खरीद के लिए आग्रह किया था. इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, नागालैंड सहित कुल 15 राज्य शामिल हैं.

लघु वनोपज के लिए 157 करोड़

रेणुका सिंह ने कहा की कोरोना काल में लघु वनोपज (Minor Forest Produce) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को संशोधित किया गया. लघु वनोपज की सूची में 37 नई वस्तुओं को जोड़कर कुल लघु वनोपज की संख्या 87 कर दी गई. वर्ष 2020-21 के दौरान राज्य सरकारों द्वारा 157.51 करोड़ रुपये का लघु वनपोज की खरीद की गई जिससे आदिवासियों को तत्काल आजीविका प्रदान करने में सहायता मिली.

आदिवासी छात्रों को छात्रवृत्ति मिली

मंत्रालय ने 1986.31 करोड़ रुपये 35.2 लाख आदिवासी छात्रों को डीबीटी के जरिए प्री एवं पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत वितरित किए. ताकि छात्र कोरोना काल के दौरान शिक्षा जारी रख सकें. मंत्रालय ने विशेष केंद्रीय सहायता, विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों का विकास, लघु वन उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत अनुदान के रूप में 1539.93 करोड़ रुपये आदिवासियों की आजीविका सहायता सहित अनुसूचित जनजातियों के कल्याण एवं विकास से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिए राज्य सरकारों को दिया.

स्वास्थ्य के बारे में जागरुकता

मंत्रालय द्वारा संचालित ट्राइफेड को राज्यों के साथ लघु वन उत्पादों को निपटाने में आदिवासियों को होने वाली समस्याओं का पता लगाने, राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करने, राज्यों में उपलब्ध लघु उत्पादों की मात्रा, उसको खरीदने की योजना, भंडारण की रणनीति, वैल्यू एडिशन एवं लघु वन उत्पादों की बिक्री व्यवस्था के लिए कहा गया. इसी क्रम में ट्राइफेड ने यूनिसेफ के साथ एक वेबिनार आयोजित किया. जिसमें वन धन विकास केंद्र के सदस्यों को कोविड-19 और उससे जुड़े स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूक किया गया.

कोविड 19 के दौरान राज्य सरकारों ने हाट बाजारों को बंद किया व आशा कार्यकर्ताओं ने आदिवासी क्षेत्रों में स्वच्छता, जागरूकता एवं अन्य स्वास्थ्य मुद्दे के साथ सामाजिक दूरी बनाए रखने, मास्क पहनने व हाथ धोने आदि की जागरूकता बढ़ाई.

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मंत्रालय ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के आदिवासी कल्याण विभाग को पत्र द्वारा आदिवासी समुदायों के बीच कोरोना टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने व वैक्सीन के लिए जागरूक करने का अनुरोध किया.

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