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राणे कभी महान नहीं थे, शिवसेना में रहते हुए उन्हें नाम मिला

सामना के संपादकीय में लिखा गया कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को शिवसेना में रहते हुए अपना नाम मिला. लेकिन शिवसेना छोड़ने के बाद पार्टी ने उन्हें लोकसभा व विधानसभा में चार बार पराजित किया है. साथ ही राणे को छेदवाला गुब्बारा बताते हुए कहा है कि कितनी भी हवा भरकर फुलाया जाए तो भी वह ऊपर नहीं जाएगा.

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Published : Aug 25, 2021, 9:43 AM IST

मुंबई:महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे पर हमला बोला है. सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि नारायण राणे कभी भी कर्तव्यनिष्ठ नहीं थे. साथ ही कहा गया है कि शिवसेना छोड़ने के बाद राणे को शिवसेना ने उन्हें लोकसभा व विधानसभा को मिलाकर चार बार पराजित किया.

शिवसेना ने मुखपत्र सामना में राणे पर साधा निशाना.

संपादकीय में लिखते हुए शिवसेना ने राणे को छेदवाला गुब्बारा बताते हुए कहा कि इस गुब्बारे में कितनी भी हवा भरकर फुलाया जाए तब भी वह ऊपर नहीं जाएगा. लेकिन भाजपा ने इस छेद पड़े गुब्बारे को फुलाकर दिखाना तय किया है. वहीं राणे को कुछ लोग टर्र-टर्र करनेवाले मेंढक की भी उपमा देते हैं. राणे मेंढक हों या छेद पड़ा गुब्बारा, ये उन्होंने स्वयं ही घोषित किया है. मोदी कैबिनेट में राणे अति और मध्यम उद्योग मंत्री हैं. वहीं प्रधानमंत्री खुद को सामान्य इंसान मानते हैं, वे स्वयं को फकीर या प्रधान सेवक मानते हैं, ये उनकी विनम्रता है. जबकि राणे का कहना है कि मैं सामान्य नहीं, इसलिए कोई भी अपराध किया तो मैं कानून के ऊपर हूं. राणे व संस्कार का संबंध कभी नहीं था. यही वजह है कि राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के साथ बेलगाम भाषा का प्रयोग किया. वहीं महाराष्ट्र के नेता देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल के द्वारा राणे के वक्तव्य का सर्मथन किया जा रहा है.

सामना के संपादकीय में लिखा गया कि फडणवीस-पाटिल के गले में राणे नाम का फटा हुआ गुब्बारा अटक गया है, इसलिए कहा भी नहीं जा सकता है, सहा भी नहीं जा सकता, ऐसी उनकी स्थिति हो गई है. ऐसे समय में संस्कारी राजनीतिज्ञ महाराष्ट्र से माफी मांगकर बच सकते थे. क्योंकि महाराष्ट्र की अस्मिता के सामने कोई भी बड़ा नहीं है. पर भाजपा के लिए महाराष्ट्र की अस्मिता और मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा गौण विषय है. महाराष्ट्र में फिलहाल भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों की जनआशीर्वाद यात्रा शुरू की है जो मजाक का ही विषय बन गया है.

इससे पहले एक मंत्री दानवे भी राहुल गांधी पर टिप्पणी करने के चक्कर में मोदी को ही बैल की उपमा दे चुके हैं वहीं अब केंद्रीय मंत्री राणे शिवसेना व मुख्यमंत्री ठाकरे बेलगाम भाषा बोल रहे हैं. वहीं राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के कान के नीचे बजाऊंगा जैसी भाषा का प्रयोग किया. जबकि मुख्यमंत्री पद ये व्यक्ति नहीं संविधान व संसदीय लोकतंत्र के कवच वाली संस्था है.

संपादकीय में कहा गया है कि शरद पवार जैसे लोकप्रिय नेता पर निचले स्तर की भाषा में टिप्पणी करनेवाले लोगों को भाजपा ने उधारी पर लिया है और ये लोग पवार पर भी अनर्गल हमला कर रहे हैं. राणे के बारे में कहा गया है कि उन्हें शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद तक का सर्वोच्च पद दिया. लेकिन बाद में उन्होंने शिवसेना की पीठ में खंजर घोंपने का काम किया. इसके बाद भी वह शिवसेना छोड़कर चले गए. उनका मकसद शिवसेना और ठाकरे पर कीचड़ उछालना है. इसी कीचड़ उछालने की वजह से भाजपा ने इनाम के रूप में उन्हें केंद्रीय मंत्री का पद दिया. साथ ही भाजपा ने महाराष्ट्र की राजनीति व सामाजिक वातावरण गंदा करने का काम शुरू कर दिया है.साथ ही कहा गया है कि राणे जैसे लोग आघाड़ी सरकार की स्थापना होने के बाद से ही ठाकरे सरकार को गिराने व गिराने की तारीख दे रहे थे, लेकिन सरकार दो साल का कार्यकाल पूरा कर रही है और संकट के समय में भी सरकार लोकप्रिय साबित हुई है.

राणे पर हमला करते हुए संपादकीय में लिखा है कि केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी उनके मूल स्वभाव में परिवर्तन नहीं आया. इस तरह की बयानबाजी से केंद्र सरकार को भी नीचा देखना पड़ा. वहीं राणे का पूर्व इतिहास देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को गंभीरता से लेना चाहिए. प्रधानमंत्री के संदर्भ में कोई ऐसा बयान दिया गया होता तो उसे देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल भेज दिया जाता. इसके अलावा कहा गया है कि महाराष्ट्र में कानून का ही राज्य है और एक मर्यादा के बाहर जाने वाले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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