भोपाल। भोपाल नहीं भोजपाल कहा जाए, आवाज कई बार उठी इस बार जिद है. जिद जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज की. अब तक सियासत की ओर से भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की आवाज उठती रही है, लेकिन इस बार साधु संतो की ओर से ये मांग उठी है. जब जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने इस मामले में पीएम मोदी से बात करने का दम दिखाया तो मैदान में पंडोखर महाराज का भी स्वर आया. पंडोखर महाराज ने आवाज उठाई है कि इस मामले में सरकार को जल्द संज्ञान लेना चाहिए और भोपाल को भोजपाल किए जाने का निर्णय जल्द से जल्द होना चाहिए. चुनावी साल में संत समुदाय से उठ रही ये आवाज क्या असर दिखाएगी.
संत की हुंकार अब हो भोजपाल:राम कथा कहने भोपाल आए रामभद्राचार्य महाराज अपने एजेंडे पर कायम हैं. भोपाल आते ही उन्होंने भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की मांग इन तेवरों साथ उठाई थी कि भोपाल का नाम भोजपाल हो जाने के बाद ही अब वो भोपाल आएंगे, मांग पर पूरी मजबूती से अड़े रामभद्राचार्य महाराज इस पर लगातार बने हुए हैं. अब इस मामले में वो पीएम मोदी से बात करने जा रहे हैं. उनका सरकार से भी आग्रह है कि अगर देश के बाकी शहरों के नाम बदले जा सकते हैं तो भोपाल का नाम क्यों नहीं. होशंगाबाद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर इस जिले का नाम नर्मदापुरम हो सकता है, तो भोपाल को भोजपाल किए जाने में तो केवल 'ज' भर जोड़ना है. रामभद्राचार्य महाराज की इच्छा है कि चुनावी साल में ही ये काम हो जाए और इसके लिए जल्दी विधानसभा में प्रस्ताव लाया जाए. रामभद्राचार्य महाराज की दृष्टि से भोपाल का नाम भोजपाल किया जाना भारत की सनातन संस्कृति के स्वाभिमान की रक्षा का प्रयास होगा.