नई दिल्ली/गाजियाबाद : पिछले नौ महीने से चल रहे किसान आंदोलन में सैकड़ों किसान ऐसे भी हैं जो एक बार भी अपने घर नहीं गए हैं. इनमें अधिकतर बुजुर्ग हैं. परिवार से दूर होने का दर्द इनकी आंखों में देखा जा सकता है. इन्हीं किसानों में से एक राकेश टिकैत भी हैं. जब भी परिवार की याद आती है तो राकेश टिकैत और अन्य किसान अपने परिवार को वीडियो कॉलिंग करते हैं. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब राकेश टिकैत ने अपनी नन्हीं सी पोती को वीडियो कॉल किया तो उस मासूम ने अपने दादा को शुभकामनाएं दी.
मुजफ्फरनगर से गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने आए 90 साल के सुक्खा सिंह पिछले नौ महीने से अपने परिवार से नहीं मिले हैं. उन्होंने परिवार से कहा था कि जब तक किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा तब तक नहीं आएंगे. 90 साल के बुजुर्ग सुक्खा सिंह के पोता-पोती अपने दादा से वीडियो कॉल पर बात करते हैं. वह कहते हैं कि दादा घर आ जाओ. लेकिन दादा सुक्खा सिंह कहते हैं कि बेटा यह आंदोलन भी आप लोगों के लिए है और जब तक यह पूरा नहीं होगा तब तक वापस घर नहीं आएंगे. यह कहते हुए सुक्खा सिंह निराश हो गए.
करीब 100 से ज्यादा बुजुर्ग किसान नहीं गए घर
इसी तरह से आंदोलन में शामिल होने आए करीब 100 से ज्यादा बुजुर्ग किसान ऐसे हैं, जो एक बार भी अपने घर वापस नहीं गए हैं. उन सभी के पास भी सिर्फ डिजिटल माध्यम है. जिससे वह अपने परिवारों से बात करते हैं. मुख्य रूप से उनके घर में मौजूद छोटे नन्हें बच्चे जब उन्हें याद करते हैं तो वह भावुक भी हो जाते हैं. मगर कुछ देर के भावुक क्षणों के बाद फिर से आंदोलन में मशगूल हो जाते हैं. लेकिन वापस घर जाने की नहीं सोचते.