दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Rape in Rajasthan: डीजीपी उमेश मिश्रा का दावा- राजस्थान में दुष्कर्म के 41 फीसदी केस झूठे - डीजीपी उमेश मिश्रा

राजस्थान पुलिस के डीजीपी उमेश मिश्रा का कहना है कि इस साल पुलिस कार्यों में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में दर्ज दुष्कर्म के कुल प्रकरणों में से 41 फीसदी झूठे पाए जाते हैं.

Rape in Rajasthan
Rape in Rajasthan

By

Published : Jan 17, 2023, 10:47 AM IST

राजस्थान में दुष्कर्म के 41 फीसदी केस झूठे

जयपुर. राजस्थान पुलिस के मुखिया डीजीपी उमेश मिश्रा ने सोमवार को पुलिस मुख्यालय में पुलिस की उपलब्धियां, कार्यों और नवाचारों के साथ योजनाओं को लेकर जानकारी दी. डीजीपी ने गत वर्ष की पुलिस की उपलब्धियां और कार्यों की सराहना की. डीजीपी ने कहा कि प्रदेश में जनता के सम्मान जीवन और संपत्ति की सुरक्षा करना हमारा काम है. साथ ही जवाबदेह, पारदर्शी और संवेदनशील पुलिस प्रशासन प्रदान करना हमारा लक्ष्य है. पुलिस के काम में पारदर्शिता लाने के प्रयास किए जाएंगे. इससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी और लोगों का विश्वास बढ़ेगा.

दुष्कर्म के 41 प्रतिशत मामले झूठे: राजस्थान दुष्कर्म के मामलों में भारत में प्रथम स्थान पर है, जबकि सच्चाई यह है कि पहला स्थान मध्य प्रदेश का है और दूसरा स्थान राजस्थान का है. राजस्थान के दूसरे स्थान पर होने का कारण निर्बाध पंजीकरण है ना कि दूसरों की घटनाओं की तुलनात्मक अधिकता. दुष्कर्म के प्रकरणों में 41 प्रतिशत अप्रमाणित पाए जाते हैं. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 8 प्रतिशत है. दुष्कर्म के कुल प्रकरणों में से 41 प्रतिशत झूठे पाए जाते हैं. महिलाओं के विरुद्ध दर्ज मामलों में वर्ष 2018 में औसत अनुसंधान समय 211 दिन था, वह वर्ष 2022 में मात्र 69 दिन रह गया है.

पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म के मामलों में पुलिस ने त्वरित अनुसंधान किया, जिसके परिणामस्वरुप पिछले 4 वर्षों में न्यायालय से आरोपियों को ऐसे 12 प्रकरणों में मृत्युदंड की सजा 466 मामलों में 20 वर्ष के कठोर कारावास से आजीवन कारावास की सजा और 750 मामलों में अन्य सजा कराई गई. वर्ष 2022 में न्यायालय से आरोपियों को ऐसे पांच मामलों में मृत्युदंड की सजा, 200 मामलों में 20 वर्ष के कठोर कारावास से आजीवन कारावास की सजा और 209 मामलों में अन्य सजा कराई गई.

डीजीपी ने बताया कि वर्ष 2022 में भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दर्ज मामलों के पंजीकरण में वर्ष 2021 की तुलना में 11.61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्ष 2022 में 31.83 प्रतिशत रहा. जबकि वर्ष 2021 में 30.44 प्रतिशत था. वर्ष 2022 में डकैती के मामलों में 90 प्रतिशत सफलता प्राप्त करते हुए 34.31 प्रतिशत बरामदगी की है. लूट के मामलों में चालानी प्रतिशत 75.96 में प्रतिशत रहा और 76.47 प्रतिशत बरामदगी की गई. नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में राजस्थान का 12वां स्थान है. पहले दूसरे और तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु है. पेंडिंग मामले में राष्ट्रीय औसत 24.9 है जबकि राजस्थान की 10.4 है. सजा प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 32 प्रतिशत है, जबकि राजस्थान के 48 प्रतिशत है.

पढ़ें:अपराध छोटा हो या बड़ा अपराधी बख्शे नहीं जाएंगे...पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ देने की इच्छा- डीजीपी उमेश मिश्रा

60 हजार से ज्यादा फर्जी सिम करवाई बंद:डीजीपी ने साइबर अपराध को लेकर कहा कि पुलिस ने साइबर अपराध को रोकने के लिए 60 हजार से ज्यादा फर्जी सिम ब्लॉक करवाई है. साइबर अपराधी, मादक पदार्थ अवैध हथियारों से जुड़े पेशेवर और आदतन अपराधियों के साथ भू माफियाओं पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. कठोर कानूनी कार्रवाई करना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है. विशेषकर महिलाओं, बच्चों, कमजोर वर्गों की सुरक्षा और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान करने के लिए थानों में जन केंद्रित सुविधाओं स्वागत कक्ष का विकास और जन सुनवाई के लिए निश्चित समय की व्यवस्था की गई है.

तकनीकी कार्य दक्षता में अभिवृद्धि के प्रयास: डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि चुनौतियों का सामना करने के लिए जहां एक और पुलिसकर्मियों के तकनीकी कार्य दक्षता में अभिवृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर उनके कल्याण के लिए साप्ताहिक अवकाश की व्यवस्था प्रारंभ की गई है. वर्ष 2022 में कोरोना से उभरते प्रदेश में पुलिस ने दोहरी भूमिका निभाते हुए संवेदनशीलता से आमजन में सकारात्मक पहचान बनाने के साथ ही अपराधियों की आसूचना और प्रोएक्टिव पुलिसिंग के माध्यम से अपराधियों पर शिकंजा कसा है.

डीजीपी ने बताया कि परिवादी को न्याय दिलाने के लिए जून 2019 से निर्बाध पंजीकरण को राजस्थान पुलिस ने महत्वता दी है. इस नवाचार के सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं. वर्ष 2018 में दुष्कर्म के 30.5 प्रतिशत मामले कोर्ट के माध्यम से दर्ज होते थे, जो अब घटकर 14.4 प्रतिशत रह गए हैं. साथ ही पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में एफआईआर पंजीयन की सुविधा को शुरू किया गया है. जिसके तहत 2019 से वर्ष 2022 तक 336 प्रकरण दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 18 मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है. राज्य सरकार की पहल पर निर्भर पंजीकरण की व्यवस्था से महिलाओं और कमजोर वर्गों को थानों में एफआईआर दर्ज करवाने का हौसला बढ़ा है.

पढ़ें:परंपरागत पुलिसिंग का कोई काट नहीं, इसकी मजबूती के लिए काम करना जरूरी: डीजीपी उमेश मिश्रा

डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि महिला अत्याचार, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में पुलिस ने अच्छा काम किया है. लेकिन अभी भी सुधार की जरूरत है. सुरक्षा सखी महिलाओं में चेतना का संचार कर रही है. जो गिरोह राजस्थान के थे, उन्हें नियंत्रण में किया गया है. दूसरे राज्य की गैंग प्रदेश में आ रही है, उन राज्यों के डीजीपी से बात की गई है. दूसरे देशों में बैठे अपराधियों को लाने के लिए सीबीआई के साथ मिलकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. प्रदेश के विभिन्न थानों में स्वागत कक्ष में जाकर कोई भी अपनी बात कह सकता है.

पढ़ें:पहली बार अपराध करने वालों पर लगाम लगाने के लिए पासा एक्ट में संशोधन की जरूरत : डीजीपी

राजस्थान के 893 पुलिस थानों में स्वागत कक्ष का निर्माण जारी है. पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को आम जनता से सदव्यवहार से बात सुननी चाहिए. पुलिस के रिस्पांस टाइम में भी सुधार हुआ है. डीजीपी ने कहा कि अब रोड हादसे हमारे लिए चिंता का विषय हैं. वर्ष 2023 में सड़क हादसों को लेकर सख्त कदम उठाए जाएंगे. इसके साथ ही जमीन माफिया, नकल माफिया, गुंडों पर चौतरफा वार रहेगा. पेपर लीक मामले में भूपेंद्र और सुरेश पर चौतरफा वार किया गया है. अगर नए कानून बनाने की जरूरत पड़ी तो बनाएंगे.

फायर आर्म्स के मामलों में पुलिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. किसी भी हालत में अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा. वर्ष 2022 में दर्ज अपराधों को लेकर उन्होंने आंकड़े और कानून व्यवस्था का ब्यौरा दिया. उन्होंने कहा कि बीते वर्षों की तुलना में महिला अपराधों में पुलिस को दोषियों को सजा दिलाने में अधिक सफलता मिली है. सुरक्षा सखी योजना को लेकर सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. संगठित अपराधों को लेकर पुलिस को सफलता मिली है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details