नई दिल्ली : एक अनुमान के मुताबिक भारतीय रेलवे अपने परिसरों में विशेषकर पान और तंबाकू खाने वालों द्वारा थूकने के कारण होने वाले दाग-धब्बों और निशानों को साफ करने के लिए सालाना लगभग 1200 करोड़ रुपये और बहुत सारा पानी खर्च करता है.
ऐसे में यात्रियों को रेलवे परिसर में थूकने से रोकने के लिए 42 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीन या कियोस्क लगाए जा रहे हैं, जो पांच रुपये से लेकर 10 रुपये तक के स्पिटून पाउच (पाउच वाला पीकदान) देंगे. रेलवे के तीन जोन पश्चिम, उत्तर और मध्य ने इसके लिए एक स्टार्टअप ईजीस्पिट को ठेका दिया है.
इन पीकदान पाउच को आसानी से जेब में रखा जा सकता है और इनकी मदद से यात्री बिना किसी दाग के जब भी और और जहां चाहें थूक सकते हैं. इस पाउच के निर्माता के अनुसार इस उत्पाद में मैक्रोमोलेक्यूल पल्प तकनीक है और इसमें एक ऐसी सामग्री है, जो लार में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस के साथ मिलकर जम जाती है.
इन बायोडिग्रेडेबल पाउच को 15 से 20 बार इस्तेमाल किया जा सकता है. ये थूक को अवशोषित कर उन्हें ठोस में बदल देते हैं. एक बार उपयोग करने के बाद इन पाउचों को जब मिट्टी में फेंक दिया जाता है, तो ये पूरी तरह घुलमिल जाते हैं और पौधे की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है.