नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव आठ चरणों में हो रहे हैं, जिसमें से चार चरण की वोटिंग हो चुकी है और पांचवें चरण के लिए 17 अप्रैल को मतदान होना है. इस दौरान भाजपा और टीएमसी धुआंधार रैलियां कर एक-दूसरे को कांटे की टक्कर दे रही हैं. ऐसे में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को पहली बार चुनाव प्रचार कर, सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि पश्चिम बंगाल में इतनी देरी से चुनाव प्रचार सिर्फ औपचारिकता है या राजनीतिक रणनीति?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में पहली बार चुनाव प्रचार किया, वो भी ऐसे समय में जब विधानसभा चुनाव के आठ में से चार चरण पहले ही समाप्त हो चुके हैं. बता दें कि तमिलनाडु, असम, केरल, और पुडुचेरी के चुनाव समाप्त होने बाद भी कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पश्चिम बंगाल में कदम तक नहीं रखा है. ऐसे में अब भी अगर चुनावी प्रचार में नहीं उतरा गया तो कांग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़े होना लाजमी है?
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वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने ईटीवी भारत से कहा, पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार अभियान में गांधी परिवार की अनुपस्थिति कई सवाल खड़े कर रही है, वो भी ऐसे समय में जब भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल की चुनावी जंग को फतह करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल में दो जनसभाओं को संबोधित किया. पहली उत्तर दिनाजपुर के गोलपोखर में और दूसरी दार्जिलिंग में शिवमंदिर बाजार माटीगारा में. बंगाल में कुल 294 निर्वाचन क्षेत्रों में से लगभग आधी सीटों (135) पर चुनाव होने हैं, ऐसे में गांधी परिवार के द्धारा पश्चिम बंगाल पर ध्यान केंद्रित न करना और देरी से इस अभियान का हिस्सा बनना, कई सवाल खड़े कर रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि इतनी देरी से चुनाव प्रचार सिर्फ औपचारिकता है या राजनीतिक रणनीति?