कासरगोड (केरल) : कासरगोड जिले में आवारा कुत्तों में रेबीज वायरस फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है. आवारा कुत्ते के हमले के बाद 7 साल के बच्चे की हाल ही में रेबीज से मौत हो गई थी. बच्चे के चेहरे पर गंभीर चोटें आईं और इलाज के बावजूद उसने रेबीज संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था.
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि अगर किसी को आवारा कुत्ते के नाखून लगते हैं या दांत लगते हैं तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए. छाती और चेहरे के ऊपर काटने या खरोंचने की चोटें बहुत गंभीर हो सकती हैं.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया कि पालतू जानवरों के मालिक भी अपने जानवरों को रेबीज रोधी टीका अवश्य लगवाएं. के सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध हैं. दरअसल जिले में मनुष्यों, अन्य पालतू जानवरों पर कुत्तों के हमले बढ़ रहे हैं. आवारा कुत्ते इसलिए भी बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग सड़कों के किनारे कचरा फेंक रहे हैं.
कुछ दिन पहले पीलीकोड में आवारा कुत्तों ने सैकड़ों मुर्गियों को मार डाला था. अधिकारी असहाय बैठे हैं क्योंकि उनके पास आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का कोई साधन नहीं है. अब जब एक नवंबर से बच्चों के स्कूल खुलने वाले हैं, ऐसे में अभिभावकों में चिंता है. स्थानीय लोगों ने अधिकारियों से इस मुद्दे का तत्काल समाधान खोजने का आग्रह किया है.
जानिए क्या है रेबीज
रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है (एक बीमारी जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है) जो वायरस के कारण होती है. यह रोग घरेलू और जंगली जानवरों को प्रभावित करता है और संक्रामक सामग्री के निकट संपर्क के माध्यम से लोगों में फैलता है. यह आमतौर पर लार, काटने या खरोंच के माध्यम से फैलता है.