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सौतेले पिता द्वारा यौन शोषण से बचाने में मां रही नाकाम, कोर्ट ने नानी को दी 9 साल की बच्ची की कस्टडी

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक साल की बच्ची को 'बाल कल्याण' का हवाला देते हुए उसे अपनी नानी के साथ रहने का फैसला सुनाया है. कोर्ट का कहना है कि लड़की की मां ने उसके सौतेले पिता द्वारा उसके कथित यौन शोषण को रोकने के लिए कुछ नहीं किया इसलिए बच्ची को नानी के साथ रहने दिया जाए. (Punjab and Haryana High Court)

Punjab and Haryana High Court order on sexual abuse with 9 year-old
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

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Published : Mar 29, 2023, 11:04 PM IST

Updated : Mar 29, 2023, 11:14 PM IST

चंडीगढ़: नौ साल की बच्ची की कस्टडी को लेकर मां और नानी के बीच एक मामले में, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर मां या बाप किसी की कस्टडी में बच्चे की भलाई नहीं होती है तो बच्चे की कस्टडी किसी ऐसे शख्स को दी जा सकती है जो उसकी बेहतर देखभाल कर सकता है. जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने इस मामले में 9 साल की बच्ची की कस्टडी मां की बजाय नानी को देने के आदेश दिए हैं.

मामला क्या है- दरअसल 9 साल की बच्ची की मां की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas corpus) याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि उसकी नाबालिग बेटी को उसकी नानी यानी याचिकाकर्ता की मां ने कथित रूप से अपने कब्जे में रखा है. मां की ओर से एक वारंट अधिकारी की नियुक्ति कर बच्ची का पता लगाकर उसे बरामद करने की मांग की गई थी.

मां की दलील- मां ने दावा किया कि बेटी को उसकी नानी ने अच्छी स्कूली शिक्षा और बेहतर देखभाल का झांसा देकर अवैध रूप से बंधक बना रखा है. महिला ने तर्क दिया कि बच्ची की कस्टडी प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते उसे मिलनी चाहिए. महिला ने अपनी मां पर बच्ची के मन में जहर भरने और ब्रेनवॉश करने का आरोप लगाया और तर्क दिया कि ये उसकी बेटी के जिंदगी और आजादी स्वतंत्रता के लिए खतरा है.

नानी का जवाब- बच्ची की नानी एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं. नानी ने दावा किया कि उसकी बेटी ने अपनी दूसरी शादी के बाद ट्यूशन फीस और अन्य खर्चे उठाने में अक्षमता जताई थी और खुद ही अपनी बेटी की कस्टडी दी थी. नानी के मुताबिक बच्ची ने उन्हें बताया था कि उसके सौतेले पिता ने कई बार उसका यौन शोषण किया और किसी को बताने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी थी.

नानी ने दावा किया कि जब नाबालिग ने अपनी मां को इस बारे में बताया, तो मां ने पति के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय बच्ची को डांट लगाई. नानी ने ही बच्ची के सौतेले पिता के खिलाफ पुलिस और मानवाधिकार आयोग को शिकायत दी थी. जिसके बाद सौतेले पिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.

जस्टिस कौल ने बच्ची से की बातचीत- इस मामले में फैसला लेने से पहले जस्टिस कौल ने बच्ची को चेंबर में बुलाकर बातचीत की. जहां बच्ची ने साफ कह दिया कि वो ना तो अपनी मां से मिलना चाहती है और ना ही उसके साथ रहना चाहती है. कोर्ट ने कहा कि बच्ची अपने सौतेले पिता के कथित यौन शोषण के कारण सदमे में है. सौतेले पिता द्वारा लगातार किए जा रहे यौन शोषण की बात करते-करते बच्ची व्यथित और परेशान हो गई. जब बच्ची से पूछा गया कि वह अपनी मां से क्यों नहीं मिलना चाहती या उसके साथ क्यों नहीं रहना चाहती, तो उसने कहा कि जब उसने सौतेले पिता की करतूत के बारे में मां को बताया तो मां ने उसे डांटकर इस बारे में चुप रहने का कहा. कोर्ट के मुताबिक बच्ची अपनी नानी के साथ रहकर बहुत खुश और सहज लग रही है.

कोर्ट की टिप्पणी- जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा कि मां केवल अपने कानूनी अधिकार के आधार पर ही अपनी बेटी की कस्टडी नहीं मांग सकती. बच्चों की कस्टडी के मामले में संबंधित बच्चे का हित सर्वोपरि होता है. जो इस मामले में भी देखा गया है. कोर्ट ने कहा कि "नानी नाबालिग बच्ची की अच्छी तरह से देखभाल कर रही है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला को बच्ची की कस्टडी ना देना उचित समझा और कहा कि ऐसा करने से बच्ची के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रुप से ठीक नहीं होगा.

कोर्ट ने मां की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि बच्ची ने याचिकाकर्ता यानी अपनी मां से मिलने से इनकार किया है साथ ही बच्ची की कस्टडी नानी को खुद याचिकाकर्ता ने अपनी मर्जी से दी थी ताकि उसकी अच्छी शिक्षा और पालन-पोषण हो सके.

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Last Updated : Mar 29, 2023, 11:14 PM IST

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