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भारत के ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 को रोकेगा 'प्रोजेक्ट मदद'

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Published : May 23, 2021, 3:51 PM IST

कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में भारत के शहरों से ज्यादा गांव प्रभावित हो रहे हैं. इसी के चलते अमेरिका में प्रवासी भारतीय डॉक्टरों एवं पेशेवरों और भारत में चिकित्सा समुदाय के लोगों ने 'प्रोजेक्ट मदद' नाम की अनूठी पहल शुरू की है. जिसका उद्देश्य स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों और पंजीकृत चिकित्सकों को 'उचित शिक्षा एवं प्रशिक्षण' देना है.

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न्यूयॉर्क : कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में भारत के ग्रामीण इलाकों के प्रभावित होने के चलते अमेरिका में प्रवासी भारतीय डॉक्टरों एवं पेशेवरों और भारत में चिकित्सा समुदाय के लोगों ने अनूठी पहल की है. इसमें डिजिटल माध्यम से ग्रामीण इलाके के स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 के इलाज संबंधी जानकारी दी जाएगी और वास्तविक समय में अस्पतालों में बिस्तर की स्थिति से अवगत कराया जाएगा. साथ ही टीके को लेकर भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी.

'प्रोजेक्ट मदद' पहल का उद्देश्य स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों और पंजीकृत चिकित्सकों को 'उचित शिक्षा एवं प्रशिक्षण' देना है जो ग्रामीण भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है.

प्रोजेक्ट मदद की टीम शुरुआत में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के ग्रमीण इलाकों में कार्यरत पंजीकृत डॉक्टरों के साथ काम रही है और उम्मीद है कि इसका विस्तार अन्य इलाकों में ग्रामीण स्वस्थ्य कर्मियों को कोविड-19 के लक्षणों की पहचान, हल्के लक्षण वालों का घर में ही इलाज करने और टीकाकरण की सलाह, अधिक दवाएं खाने के खतरे और अन्य बेहतरीन उपायों के लिए प्रशिक्षित करने में किया जाएगा.

प्रोजेक्ट मदद का नेतृत्व कर रहे राजा कार्तिकेय ने कहा कि जब कोविड-19 संकट की शुरुआत हुई तो हमने पाया कि ग्रामीण भारत पर हमारा ध्यान बिल्कुल नहीं गया.

न्यूयॉर्क निवासी कार्तिकेय ने उदाहरण दिया कि तेलंगाना के करीमनगर में 70 से 80 प्रतिशत संक्रमित ग्रामीण इलाकों के हैं और यह चलन अन्य स्थानों पर भी देखने को मिल रहा है.

मिनियापोलीस में रह रहे प्रख्यात रेडियालॉजी विशेज्ञ डॉ.सुब्बराव इनामपुडी ने कहा कि हमारा उद्देश्य भारत की अधिकांश ग्रामीण आबादी पर ध्यान केंद्रित करना है. हमने गांवों में पंजीकृत डॉक्टरों से जोर देकर कहा कि 80 प्रतिशत संक्रमित आसानी से ठीक हो जाएंगे. हमें वास्तव में भय को दूर करना है और उनके भय को सतर्कता में बदलना है.

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उन्होंने कहा कि टीम का मुख्य जोर ग्रामीण चिकित्सकों को कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले मामलों को मध्यम या गंभीर बनने से रोकने के लिए प्रशिक्षित करना है और उन्हें बताना है कि ऐसी स्थिति होने पर वे क्या करें.

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