अहमदाबाद :पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुजरात में स्वागत सेवा के 20 साल पूरे होने पर वर्चुअल संबोधित किया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए स्वागत की सफलता का सबसे बड़ा अवार्ड ये है कि इसके जरिए हम गुजरात के लोगों की सेवा कर पाए. उन्होंने कहा कि 2003 में मैंने जब 'स्वागत' की शुरूआत की थी तब मुझे गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में ज्यादा समय नहीं हुआ था. उससे पहले मेरा ज्यादातर जीवन कार्यकर्ता के रूप में बीता था. उन्होंने कहा कि हमारे देश में दशकों से ये मान्यता चली आ रही थी कि कोई भी सरकार आए उसे बनी-बनाई लकीरों पर ही चलते रहना होता है. लेकिन 'स्वागत' के माध्यम से गुजरात ने इस सोच को भी बदलने का काम किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि कुर्सी मिलने के बाद मैंने मन में ही सोचा था कि मैं वैसा ही रहूंगा जैसा लोगों ने मुझे बनाया है, मैं कुर्सी का गुलाम नहीं बनूंगा. मैं जनता-जनार्दन के बीच रहूंगा, जनता-जनार्दन के लिए रहूंगा. इसी उद्देश्य से स्वागत का जन्म हुआ. उन्होंने कहा कि गुजरात के करोड़ों नागरिकों की सेवा में समर्पित 'स्वागत' 20 वर्ष पूरे कर रहा है और मुझे अभी-अभी पुराने अनुभवों को सुनने का, पुरानी यादें ताजा करने का मौका मिला. 'स्वागत' की सफलता में कितने ही लोगों का अनवरत श्रम लगा है, कितने ही लोगों की निष्ठा लगी है. मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं.
पीएम ने कहा कि हमने बताया कि गर्वेंनेस सिर्फ नियम, कानून और लकीरों तक सीमित नहीं होती है. गर्वेंनेस होती है- इनोवेशन से, गर्वेंनेस होती है- नए आइडियाज से. गर्वेंनेस प्राणहीन व्यवस्था नहीं है, ये जीवंत व्यवस्था होती है, संवेदनशील व्यवस्था होती है. गर्वेंनेस लोगों की जिंदगियों से, सपनों से और संकल्पों से जुड़ी हुई एक प्रगतिशील व्यवस्था होती है.