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वाट्सएप प्राइवेसी विवाद, उपयोगकर्ता को दिक्कत हो तो न इस्तेमाल करे : दिल्ली हाई कोर्ट - वाट्सएप प्राइवेसी विवाद

वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर बवाल मचा हुआ है. दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि यह एक निजी एप है अगर याचिकाकर्ता को दिक्क्त हो तो, वह इसका इस्तेमाल न करे.

दिल्ली हाई कोर्ट
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Published : Jan 18, 2021, 6:54 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि वाट्सएप एक निजी एप है अगर याचिकाकर्ता को दिक्कत है तो उसका इस्तेमाल न करे. हाई कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को करेगा.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि वाट्सएप सारी जानकारी स्टोर कर उसे विश्व स्तर पर शेयर कर देता है. याचिकाकर्ता ने दलील दी और कहा ब्रिटेन और अमेरिका में वाट्सएप नई प्राइवेसी पॉलिसी के इस्तेमाल के लिए ऑप्शन देता है, लेकिन भारत में इसके इस्तेमाल के लिए ऐसा कोई ऑप्शन नहीं दिया गया है.

वाट्सएप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि एप पूरी तरह से उपयोग के लिए सुरक्षित है. मित्रों और रिश्तेदारों के बीच सभी बातचीत एन्क्रिप्टेड हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल वाट्सएप ही नहीं बल्कि सभी प्लेटफार्म ऐसा कर रहे हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आपको पता है कि गूगल मैप भी डेटा शेयर करता है. क्या आपने वाट्सएप की शर्तों को पढ़ा है.

वाट्सएप ने कोर्ट को मेल किया
15 जनवरी को जस्टिस प्रतिभा सिंह ने इस मामले को लेकर कोर्ट को भेजे गए ई-मेल पर आपत्ति जताते हुए खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था. दरअसल ई-मेल वाट्सएप की ओर से कोर्ट को भेजा गया था. इस ई-मेल में कहा गया था कि जस्टिस प्रतिभा सिंह इससे जुड़े मामले में बतौर वकील पहले पेश हो चुकी हैं. हालांकि, वाट्सएप ने इस ई-मेल को वापस ले लिया था.

वकील चैतन्य रोहिल्ला ने याचिका दायर कर कहा कि वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी से लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. इससे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी किसी युजर की सभी ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है.

पढ़ें-वाट्सएप ने उपभोक्ताओं को दिया संदेश- हम आपकी प्राइवेसी के लिए कटिबद्ध

याचिका में यह भी कहा गया है कि डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के अभाव में यूजर्स को कंपनी के रहमोकरम पर भी निर्भर रहना होगा. वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट करने से तत्काल रोकने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता ने याचिका में यह भी मांग की है कि वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी को मौलिक अधिकारों के मुताबिक तय करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. केंद्र सरकार इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 79(2)(सी) और धारा 87(2)(जेडजी) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए ये सुनिश्चित करे कि वाट्सएप किसी भी युजर का डाटा किसी भी तीसरे पक्ष या फेसबुक को किसी उपयोग के लिए शेयर नहीं करे.

फेसबुक से डाटा शेयर करेगा वाट्सएप
वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक वो यूजर्स का डाटा किसी तीसरे पक्ष को शेयर नहीं करने के अधिकार को छीनता है. अगर वाट्सएप यूजर्स का डाटा फेसबुक को शेयर करती है तो, इसका मतलब है कि वो हर सेकंड यूजर का डाटा कलेक्ट करेगा और एक तरह से वो फेसबुक और उसकी कंपनियों की निगरानी में रहेगा. ऐसा करना गैरकानूनी है. वाट्सएप के प्रयोग लोग एक-दूसरे को संदेश देने के लिए करते हैं, लेकिन अगर उन सूचनाओं का उपयोग किसी पक्ष करे तो, यह गैरकानूनी है.

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