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नंदीग्राम : राजनीतिक दलों ने पहचान की राजनीति, औद्योगीकरण के वादों में झोंकी ताकत

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की सबसे चर्चित सीट नंदीग्राम के लिए सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. सभी पार्टियां यहां पहचान की राजनीति और औद्योगीकरण के वादे कर रही हैं.

ममता शुभेंदु
ममता शुभेंदु

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Published : Mar 25, 2021, 6:27 PM IST

Updated : Mar 25, 2021, 7:21 PM IST

नंदीग्राम : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित निर्वाचन क्षेत्र बने नंदीग्राम में राजनीतिक दलों ने पहचान की राजनीति और औद्योगीकरण के वादों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके पूर्व डिप्टी एवं भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के बीच यहां सीधा मुकाबला है.

इस निर्वाचन क्षेत्र में 30 प्रतिशत अल्पसंख्यक वोट चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं. वहीं, भाजपा और तृणमूल कांग्रेस बहुसंख्यकों के वोट जुटाने के लिए हिन्दुत्व की प्रतिस्पर्धा में भी लगी हैं.

वर्ष 2007 में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के जरिए इस क्षेत्र ने शक्तिशाली वाम मोर्चा शासन की नींव हिला दी थी और बाद में 2011 में इसने तृणमूल कांग्रेस को सत्तारूढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

उस समय के आंदोलन के दो प्रमुख चेहरे बनर्जी और अधिकारी अब एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े हैं. नंदीग्राम सीट पर राज्य में आठ चरण में होने जा रहे चुनाव के दूसरे चरण में एक अप्रैल को मतदान होगा.

माकपा यहां अपनी युवा उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी के साथ भाजपा के हाथों छिने अपने जनाधार को फिर से पाने का प्रयास कर रही है.

'बाहरी और भीतरी' की चर्चा भी तेज

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ ही राज्य में 'बाहरी और भीतरी' की चर्चा भी जोर से चल रही है, लेकिन भाजपा को बाहरी लोगों की पार्टी कहती रहीं बनर्जी को यहां पलटवार का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारी यहां खुद को 'भूमिपुत्र' के रूप में पेश कर रहे हैं और बनर्जी को कोलकाता से आईं बाहरी उम्मीदवार करार दे रहे हैं.

खुद को बाहरी कहे जाने पर बनर्जी, अधिकारी को 'मीर जाफर' करार दे रही हैं.

रोचक बात यह है कि इन सबके बावजूद वे राजनीतिक दल भी अब नंदीग्राम में औद्योगीकरण का वादा कर रहे हैं जिन्होंने पूर्व में क्षेत्र में वाम सरकार द्वारा प्रस्तावित एक रसायन हब का विरोध किया था.

भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट

नंदीग्राम सीट भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है क्योंकि यदि अधिकारी की हार हुई तो नई पार्टी में उनकी प्रगति के द्वार बंद हो सकते हैं.

यहां पहचान की राजनीति भी केंद्र में है. बनर्जी अधिकारी के 'आक्रामक हिन्दुत्व' का मुकाबला करने के लिए 'सॉफ्ट हिन्दुत्व' का कार्ड खेल रही हैं.

अधिकारी की चुनाव रैलियों में जहां 'जय श्रीराम' के नारे लगते हैं, वहीं बनर्जी भी अपनी रैलियों में 'चंडी पाठ' करती दिखती हैं.

अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के भाजपा के आरोपों के जवाब में बनर्जी अपनी हिन्दू, और विशेषकर ब्राह्मण पहचान उजागर करती नजर आती हैं. 12 मंदिरों के दर्शन करना भी उनकी इसी रणनीति का हिस्सा है.

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बनर्जी ने जहां कई विकास परियोजनाओं और एक विश्वविद्यालय का वादा कर नंदीग्राम को आदर्श क्षेत्र बनाने की बात कही है तो वहीं अधिकारी ने नंदीग्राम को औद्योगिक वृद्धि के एक नए युग में ले जाने का वायदा किया है.

माकपा उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी का आरोप है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही लोगों को गुमराह कर रही हैं.

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उन्होंने कहा, 'जब हम नंदीग्राम में उद्योग लाना चाहते थे तो तृणमूल कांग्रेस ने इसका विरोध किया था और लोगों को गुमराह किया था. अब जब लोग उद्योग चाहते हैं तो वह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मुद्दा ला रही है.'

Last Updated : Mar 25, 2021, 7:21 PM IST

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