नई दिल्ली : अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) गोस्किनी की कॉमिक्स में मौजूद आरमोरिका का प्रसिद्ध फेबल गॉल गांव (fabled Gaul village) नहीं है, जिसमें औबेलिक्स (Obelix) शक्तिशाली रोमनों के खिलाफ भी निडर और निर्भीक रूप से स्वतंत्र रहता था. हालांकि पंजशीर घाटी की फेबल गॉल से तुलना करना ठीक नहीं हैं, क्योंकि आरमोरिका का प्रसिद्ध फेबल गॉल गांव सिर्फ कल्पना में मौजूद है.
अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से एक और काबुल से लगभग 70 किमी उत्तर में, पंजशीर घाटी निषिद्ध का दूसरा नाम है. यह हमें 17 अगस्त को भी देखने को मिला, जिस समय काबुल पर तालिबान का कब्जा हुआ तो अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए. उनके मंत्रिमंडल के साथी भी भूमिगत हो गए. कई नेताओं ने तजाकिस्तान में शरण ली. जब दुनिया यह मानने लगी कि अशरफ गनी और उनके साथियों ने तालिबान के सामने घुटने टेक दिए हैं, तब 'पंजशीर के शेर' अमरुल्ला सालेह ने ट्विटर पर दहाड़ लगाई.
अफगानिस्तान के 48 वर्षीय उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (amrullah saleh) ने खुद को कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित कर तालिबान को खुली चुनौती दी.
पंजशीर से बोलते हुए, सालेह ने अहमद मसूद और पूर्व रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी के साथ तालिबान विरोधी मोर्चे के गठन की घोषणा कर दी. दिलचस्प बात यह है कि तीनों ताजिक हैं और यह सभी पंजशीर में पैदा हुए हैं.
अहमद शाह मसूद (Ahmad Shah Massoud) के बेटे 32 वर्षीय अहमद मसूद ने बुधवार को लिखा कि मैं आज पंजशीर घाटी से लिखता हूं, अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए, मैं मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ एक बार फिर तालिबान से मुकाबला करने के लिए तैयार हूं.
तालिबान के वास्तविक प्रमुख मुल्ला गनी बरादर (Taliban head Mullah Baradar ) के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई (former president Hamid Karzai), जिन्हें तालिबान के साथ बातचीत करने के लिए चुना गया है, दोनों पोपलजई जनजाति (Popalzai tribe) से हैं और पश्तून हैं, जबकि तालिबान नेता हैबातुल्लाह अखुंदजादा (Haibatullah Akhundzada) कंधार के पश्तून हैं.
दिलचस्प बात यह है कि अब्दुल्ला अब्दुल्ला (Abdullah Abdullah), जो तालिबान के साथ बातचीत में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहे हैं. उनके पिता पश्तून है और मां पंजशीर की ताजिक हैं, लेकिन दोनों पंजशीर से हैं.