बालाघाट/बुरहानपुर/सागर/मुरैना/रीवा।मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election 2022) की सरगर्मी और दावेदारी जोरों पर है. लंबी कशमकश के बाद एमपी में गांव की सरकार बनाने के लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करवाए जा रहे हैं. इसे लेकर निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इस दौरान एमपी की कई ग्राम पंचायतों ने अपने पंच, सरपंच का चुनाव निर्विरोध कर लिया है. प्रदेश के कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं. खास बात यह है कि निर्विरोध चुनी गईं सभी पंच सरपंच महिलाएं हैं. वहीं प्रदेश की एक ग्राम पंचायत ऐसी भी है जहां बीते 60 साल से चुनाव ही नहीं हुआ है. यहां भी महिलाएं ही निर्विरोध चुनकर अपना परचम लहरा रही हैं.
ग्राम पंचायत को 15 लाख का मिलेगा पुरस्कार: बुरहानपुर जिले के खकनार तहसील क्षेत्र के ग्राम मांजरोद में 60 साल से सरपंच निर्विरोध चुनते चले आ रहे हैं. इस बार गांव की सरकार जैसे सरपंच, उप-सरपंच सहित पंचों के पदों पर सभी महिलाएं चुनी गई हैं. इसके चलते पंचायत का नाम गिनीज बुक में दर्ज कराने की तैयारी भी की जा रही है. राज्य सरकार भी इस ग्राम पंचायत को 15 लाख रुपए की राशि देकर पुरस्कृत करेगी.
बीते 60 साल से मतदान नहीं हुआ:ग्राम पंचायत मांजरोद में बीते 60 सालों से आज तक यहां पर मतदान ही नहीं हुआ है. यहां हर बार निर्विरोध सरपंच चुनकर आते हैं. इस बार ग्राम सरकार के सभी पदों पर महिलाएं उम्मीदवार चुनी गई हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गांव के प्रत्येक घर में पक्का शौचालय, बिजली और पानी के कनेक्शन हैं, सभी गली मोहल्ले में सीसी रोड, एक स्कूल, दो आँगनबाड़ी, एक जिम, दो मंगल भवन, ताप्ती नदी के दो और खोकरी नदी पर बने बैराज से सिंचाई के लिए पानी लाया गया है जिससे गांव में फसलें लहलहाती हैं.
निर्मल ग्राम का भी मिल चुका है सम्मान: ग्राम पंचायत कोवर्ष 2007 में राष्ट्रपति से निर्मल ग्राम का सम्मान मिल चुका है. इतना ही नहीं, इस गांव में शराब की बिक्री भी पूरी तरह बंद हैं. मांजरोद गांव में 60 साल से ग्राम सरकार निर्विरोध चुनी जा रही है. इस बार भी सरपंच और 12 पंच सहित सभी पदों पर महिलाएं ही काबिज हुई हैं. निर्विरोध ग्राम सरकार को अब अफसर भी मान रहे हैं. पंचायत अब इस रिकॉर्ड को गिनीज बुक में दर्ज कराने की तैयारी में है, इसलिए पूरे मापदंड जानने के बाद दस्तावेज उपलब्ध कराएंगे.
कई पंचायतों से निर्विरोध पंच की घोषणा:बालाघाट में इस त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election 2022) ने गांव की लड़ाई को खत्म कर दिया और प्रतिद्वंद्विता की राह को एकता के हार में पिरो दिया है. बालाघाट के प्रत्येक ग्रामों में सरपंच, उप-सरपंच और पंच पद के लिए प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है, लेकिन कुछ गांवों से चुनाव बहिष्कार के शोर भी सुनने मिल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कई पंचायतों से निर्विरोध पंच, सरपंच चुनकर नई मिसाल कायम किए जाने की खबरें भी सामने आ रही है.
बालाघाट में भी निर्विरोध चुनी गई पंचायत:बालाघाट जनपद की ग्राम पंचायत बघोली में पूरी पंचायत बिना चुनाव के निर्विरोध आम सहमति से चुन ली गई. ये गांव एमपी शासन के आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे का पैतृक गांव है. यहां उनके ऐतिहासिक निर्णय और ग्रामीणों की सर्वसहमति से बघोली पंचायत ने एक मिसाल कायम की है. यहां सभी 15 पंचायत में सरपंच और उप-सरपंच पद के लिए सिर्फ महिलाओं को प्राथमिकता दी गई और सभी पदों के लिए महिलाओं को निर्विरोध निर्वाचित कर दिया गया है. (Panchayat of Balaghat in hands of women)