नई दिल्ली : पाकिस्तान फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की 'ग्रे' सूची में अभी बना हुआ है, लेकिन उसे बड़ी राहत मिल गई है. एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान ने टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर जो भी दावे किए हैं, एजेंसी उसकी जांच करेगा. एजेंसी ने कहा कि एफएटीएफ की एक टीम पाकिस्तान की यात्रा कर ऑनसाइट शर्तों को पूरा करने के दावों का परीक्षण करेगी. अगर इसमें उसकी रिपोर्ट सही पाई गई, तो वह ग्रे सूची से बाहर हो सकता है.
पाकिस्तान 2018 से ही ग्रे सूची में बरकरार है. पाकिस्तान के मित्र राष्ट्रों (चीन, मलेशिया और तुर्की) ने पूरी कोशिश की कि वे पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर कर पाएं, लेकिन अभी तक ऐसा संभव नहीं हो सका है. पाकिस्तान की विदेश मंत्री ने दावा किया है कि उनके देश ने उन सभी 34 पहलुओं में सुधार के लिए कदम उठाए हैं जिनके बारे में FATF ने उससे कहा था.
बैठक में पाकिस्तान ने कई दावे किए. उसने कहा कि वह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. उसके अनुसार उसने दंडात्मक कार्रवाई के अलावा, एफएटीएफ कार्य योजना के लगभग सभी बिंदुओं को लागू किया है और उसने मुकदमे भी चलाए तथा सभी प्रासंगिक कानूनी संशोधन भी किए हैं.
पाकिस्तान के ‘ग्रे’ सूची में बने रहने से उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल होता जा रहा है, जिससे देश के लिए समस्याएं और बढ़ रही हैं. एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी संस्था है. इसकी स्थापना 1989 में धन शोधन (मनी लॉऩ्ड्रिंग), आतंकवाद वित्त पोषण (टेरर फाइनेंसिंग) और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए जो खतरे हैं, उनसे निपटने के लिए की गई थी. एफएटीएफ के वर्तमान में दो क्षेत्रीय संगठन यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद सहित 39 सदस्य हैं. भारत, एफएटीएफ परामर्श और उसके एशिया प्रशांत समूह का सदस्य है.