इंदौर। नई दुल्हन या नए दूल्हे के सपने हर युवती और युवक देखता है. लेकिन पारिवारिक और व्यक्तिगत कारणों से जिनके जीवन में दूल्हे या दुल्हन दस्तक तक नहीं दे पाई, ऐसे लोग जिंदगी की सेकंड इनिंग में भी अपने लिए जीवनसाथी तलाश रहे हैं. स्थिति यह है कि वैवाहिक सम्मेलनों में शादी की ख्वाहिश लिए जो लोग पहुंच रहे हैं, उनकी उम्र 30 साल से लेकर 60 साल तक है. यही स्थिति स्वच्छंद रूप से जीने वाली अधिक उम्र की महिलाओं और विधवाओं की है, जिन्हें सहारे के लिए भी विदुर बच्चे वाले और अपने से बड़ी उम्र के दूल्हे भी मंजूर हैं.
मैट्रिमोनियल की ऑनलाइन व्यवस्था: भारतीय परिवारों में सिंगल फैमिली कल्चर और बढ़ती स्वच्छंद पाश्चात्य जीवन शैली के फल स्वरूप अधिकांश युवक-युवतियों की शादी निर्धारित समय पर नहीं हो पा रही है. इसके अलावा विभिन्न समाजों में अब शादियों के रिश्ते के लिए समाज के जिम्मेदार लोगों के अभाव और विभिन्न कारणों से माता-पिता भी अपने बच्चों के लिए उचित वर वधू तलाश नहीं कर पा रहे हैं. इसके अलावा मैट्रिमोनियल की ऑनलाइन व्यवस्था में भी बच्चों के लिए उचित एवं पारदर्शी वैवाहिक संबंधों का अभाव है. नतीजतन भारतीय परिवारों में भी अपने बेटे बेटियों के लिए दूल्हा दुल्हन खोजना किसी चुनौती से कम नहीं है.
विवाह सम्मेलनों में तलाशे जा रहे दूल्हा-दुल्हन: यह स्थिति तब ज्यादा गंभीर हो रही है, जब शादी की उम्र ही निकल जा रही है. ऐसे में अब विभिन्न समाजों में बड़ी संख्या में ऐसे युवक युवतियां हैं, जो अपनी जिंदगी की सेकंड इनिंग में बुढ़ापे में एक दूसरे का सहारा बनने के लिए शादी की ख्वाहिश रखते हैं. जो अब अंतर्जातीय है अथवा आर्य समाज के विवाह सम्मेलनों में अपने लिए दुल्हन या दूल्हा तलाश रहे हैं. ऐसी ही स्थिति उन विधुर एवं विधवा महिलाओं और पुरुषों की है, जिनके बच्चे तो हैं लेकिन वह फिर भी अपने सहारे के लिए शादी करना चाहते हैं. इनमें अधिक उम्र के कई दूल्हे ऐसे हैं, जिन्हें अपने से कम उम्र की ऐसी दुल्हन चाहिए जिसके बच्चे ना हो ऐसी ही वैवाहिक शर्तें उन नौकरी पेशा अथवा अधिक उम्र की विधवा अथवा सिंगल महिलाओं की भी हैं, जो अपने लिए कम उम्र के और सिंगल दूल्हे चाहती हैं.