पंजाब: इस बार पंजाब विधानसभा चुनावों में पांच सियासी दल सीधे-सीधे चुनावी मैदान में थे. लेकिन इनमें खासतौर पर जिस पार्टी की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही थी वह थी किसानों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा. क्योंकि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने एक साल तक आंदोलन किया था, जिसके बाद पंजाब के विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर एक बड़ा कदम उठाया. इसके बाद ही किसानों ने आंदोलन समाप्त किया था.
वहीं केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों वापस लेने के बाद किसानों ने पंजाब के विधानसभा चुनावों में ताल ठोंक दी. सभी को लग रहा था कि किसानों की यह पार्टी, पंजाब के विधानसभा चुनाव में हो रहे पंचकोणीय मुकाबले में किसी ना किसी सियासी दल का समीकरण तो खराब जरूर करेगी. लेकिन पार्टी ऐसा कोई करिश्मा करने में नाकाम रही और किसानों की पार्टी का कोई भी उम्मीदवार विधानसभा के दरवाजे तक नहीं भी पहुंच पाया.
इससे, किसी पार्टी के समीकरण तो खराब नहीं हुए, लेकिन संयुक्त समाज मोर्चा खुद ही पूरी तरह से धराशाई हो गई. और तो और पंजाब विधानसभा चुनाव में किसानों की पार्टी का कोई भी चेहरा विजयी नहीं हो पाया. यहां तक कि पार्टी के सीएम चेहरे के उम्मीदवार बलवीर सिंह राजेवाल भी अपनी सीट नहीं बचा पाए और वह भी बुरी तरह से चुनावी मैदान में पस्त हो गए. बलबीर सिंह राजेवाल को 4600 से कुछ ही अधिक वोट मिले और वे खुद की जमानत तक नहीं बचा पाए. इसके साथ ही पार्टी के अन्य सभी उम्मीदवार भी अपनी जमानत बचाने में कामयाब नहीं हो सके.