नई दिल्ली: असम में हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में आज नई सरकार का गठन हुआ. एनडीए गठबंधन ने असम विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया था. बता दें, नई सरकार के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं.
भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के लिए असम में सत्ता चलाना कोई आसान काम नहीं है. सरकार और गठबंधन के सामने काफी चुनौतियां हैं. बता दें सरकार को सभी चुनौतियों का कदम फूंक-फूंक कर सामना करना होगा. असम विधान सभा चुनाव के करीब एक सप्ताह बाद राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति बनी. पूर्व सीएम सरबानंद सोनोवाल मार्गदर्शक की भूमिका में रहेंगे. नए सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को विधायक दल का नेता चुना गया. इस सरकार के सामने कोविड-19 से निपटने की चुनौती बड़ी है.
कोविड-19 की चुनौती
राज्य में चुनाव प्रचार, मतदान, काउंटिंग और अप्रैल के मध्य में पड़ने वाले बिहू ने बेशक कोरोना के मामलों को बढ़ाया, लेकिन राज्य में अभी भी कोरोना का सबसे खराब दौर आना बाकी है. सरकार को समय रहते इससे निपटने के इंतजाम करने होंगे. जानकारी के मुताबिक शनिवार को लगातार दूसरे दिन असम में कोरोना के करीब 5,000 से अधिक नए मामले दर्ज किए. वहीं, सकारात्मकता दर भी लगभग 8 प्रतिशत दर्ज की गई है. ऐसे में राज्य के नए सीएम के सामने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना होगा. बता दें, राज्य में डॉक्टरों और कर्मचारियों की बेहद कमी है.
बेरोजगारी और निवेश
असम में बेरोजगारी और निवेश की सबसे बड़ी समस्या है. आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब हर साल 15 लाख युवा बेरोजगारों की लिस्ट में शामिल होते हैं. बता दें, राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.1 फीसद के मुकाबले असम में बेरोजगारी दर करीब 8.1 फीसद है. बात अगर महिला बेरोजगारी की करें तो यह आंकड़ा 13.9 फीसद के आसपास है. इस सिलसिले में सरमा ने एक साल में एक लाख नौकरियां पैदा करने का वादा किया है जो पर्याप्त नहीं हो सकता है. बेरोजगारी को दूर करना है तो सरकार को रोजगार के अवसरों को बढ़ाना होगा, लेकिन यह संभव नहीं है क्योंकि राज्य में कोई भी प्राइवेट सेक्टर नहीं है.