मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) से कहा कि वह ख्वाजा यूनुस हिरासत में मौत के मामले में 14 अक्टूबर तक नए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति नहीं करेगी.
बर्खास्त अधिकारी सचिन वाजे सहित चार पुलिसकर्मी मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं. अतिरिक्त लोक अभियोजक संगीता शिंदे ने न्यायमूर्ति पीबी वराले और न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के समक्ष यह बयान दिया. जो यूनुस की मां आसिया बेगम द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
याचिकाकर्ता के वकील मिहिर देसाई ने बुधवार को पीठ को बताया कि जुलाई 2018 में सरकार ने मौखिक आश्वासन दिया था कि याचिका की सुनवाई लंबित रहने पर कोई नई नियुक्ति नहीं होगी.
हालांकि, अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को निचली अदालत को बताया कि वे मामले में किसी को विशेष अभियोजक नियुक्त करने की प्रक्रिया में हैं. देसाई ने कहा, हमारा अनुरोध है कि जब तक इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक सरकार किसी को नियुक्त न करे. न्यायमूर्ति वरले ने कहा कि अभियोजक में अचानक कोई बदलाव नहीं होना चाहिए.
शिंदे ने तब अदालत को बताया कि उसने कुंभकोनी और राज्य के कानून विभाग से निर्देश लिया था और अदालत को आश्वासन दिया कि सरकार सुनवाई की अगली तारीख तक मामले में एक नया विशेष अभियोजक नियुक्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगी. मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को हाेगी.
बता दें कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर ख्वाजा यूनुस काे घाटकोपर बम विस्फोट मामले के तुरंत बाद कथित तौर पर हिरासत में लिया गया था. यूनुस और तीन अन्य आरोपियों से पूछताछ की गई. अगले दिन 7 जनवरी को यूनुस अचानक लापता हो गया. पुलिस ने दावा करते हुए कहा कि पुलिस टीम जांच के लिए यूनुस को औरंगाबाद ले जा रही थी. तभी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और यूनुस हिरासत से भाग निकला मगर ख्वाजा यूनुस के एक साथी आरोपी ने अदालत में बताया कि पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई थी.
इधर बेटे के गायब हो जाने से परिवार परेशान था. दुखी परिजनों ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया. हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए महाराष्ट्र सीआईडी को जांच के लिए सौंप दिया. जांच में पता चला कि पुलिस हिरासत में यूनुस की मौत हो गई थी.
(पीटीआई-भाषा)