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भारत में निर्मित न्यूमोकॉकल वैक्सीन से हर साल बचेगी 50,000 बच्चों की जिंदगी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, मौजूदा समय में न्यूमोकॉकल वैक्सीन का प्रयोग सिर्फ पांच राज्यों तक ही सीमित है. आने वाले समय में इसका प्रयोग देश के बाकी राज्यों में भी किया जाएगा. पढ़ें न्यूमोकॉकल वैक्सीन से जुड़ी खास जानकारियां.

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Published : Feb 2, 2021, 8:43 PM IST

Pneumococcal Vaccine
न्यूमोकॉकल वैक्सीन

हैदराबाद : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार (एक फरवरी) को देश का आम बजट पेश किया. कोरोना महामारी के बाद यह पहला बजट था. इस दौरान वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2021-22 पेश करते हुए न्यूमोकॉकल वैक्सीन (Pneumococcal vaccine) के बारे में बात की, जो मेड इन इंडिया है. वर्तमान में न्यूमोकॉकल वैक्सीन (Pneumococcal vaccine) केवल पांच राज्यों तक सीमित है.

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में बाल मृत्यु को रोकने का प्रयास जारी है और भारत में निर्मित न्यूमोकॉकल वैक्सीन (Pneumococcal vaccine) के प्रयोग से हर साल 50 हजार बाल मृत्यु को रोका जा सकेगा.

न्यूमोकॉकल वैक्सीन पर एक नजर

  • क्या है न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया: न्यूमोकॉकस (Pneumococcal) छोटे बच्चों में रक्तप्रवाह संक्रमण, निमोनिया, मेनिनजाइटिस (meningitis) और संक्रमण का सबसे आम कारण है. बता दें कि यह रोग तब फैलता है, जब न्यूमोकॉकल रोग के बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति छींकते या खांसते हैं, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि हर संक्रमित व्यक्ति बीमार पड़ जाए.
  • दुर्लभ मामलों में इस बैक्टीरिया की वजह से संक्रमित व्य​क्ति में गंभीर समस्याएं जैसे कि निमोनिया, खून में संक्रमण और मेनिनजाइटिस आदि हो सकती है.
  • निमोनिया होने पर मरीज को बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. मेनिनजाइटिस में रोगी को बुखार, सिरदर्द और गर्दन में अकड़न महसूस होती है. बच्चों में मेनिनजाइटिस रोग होने पर भूख में कमी, उल्टी आना आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं, वहीं खून में संक्रमण होने पर रोगी को ठंड और बुखार की समस्या हो सकती है.

संक्रमण के प्रकार

  • स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया बैक्टीरिया (Steptococcus pneumonia bacteria) या न्यूमोकॉकस (pneumococcus), कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. इनमें से कुछ ऐसी भी बीमारियां हैं, जिनके कारण आपकी जान को खतरा हो सकता है.
  • आपने निमोनिया के बारे में सुना ही होगा, जो फेफड़ों का संक्रमण है. यह कई अलग-अलग बैक्टीरिया, वायरस और यहां तक ​​कि कवक निमोनिया का कारण बन सकता है. न्यूमोकॉकस (Pneumococcus) गंभीर निमोनिया के सबसे आम कारणों में से एक है.

निमोनिया के अलावा, न्यूमोकॉकस अन्य प्रकार के संक्रमणों का भी कारण बन सकता है, जैसे:

  • कान का संक्रमण (Ear infections)
  • साइनस संक्रमण (Sinus infections)
  • मस्तिष्कावरण शोथ (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को कवर करने वाले ऊतक का संक्रमण)
  • बैक्टीरिया (रक्तप्रवाह संक्रमण)

डॉक्टर इन संक्रमणों में से कुछ को 'आक्रामक' मानते हैं. इनवेसिव (invasive) बीमारी का मतलब है कि रोगाणु शरीर के उन हिस्सों पर आक्रमण करते हैं, जो सामान्य रूप से कीटाणुओं से मुक्त होते हैं. उदाहरण के लिए न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया, (pneumococcal bacteria) जो रक्तप्रवाह पर गंभीर प्रभाव डाल कर सकते हैं. वहीं कुछ बैक्टीरिया मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को कवर करने वाले ऊतक व तरल पदार्थ होते हैं, जिससे मेनिनजाइटिस (meningitis) हो सकता है. जब ऐसा होता है, तो बीमारी आमतौर पर बहुत गंभीर होती है. ऐसे में अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है और यहां तक ​​कि कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है.

क्या है न्यूमोकॉकल वैक्सीन (Pneumococcal vaccine)

  • निमोनिया, मेनिनजाइटिस (meningitis) और न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया (pneumococcal bacteria) के कारण होने वाली अन्य बीमारियों से बचाव के लिए पीसीवी (PCV) सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है. इसे छह हफ्ते, 14 हफ्ते और नौ महीने (बूस्टर डोज) के बच्चों को दिया जा सकता है.
  • यह महंगा टीका भारत में निजी बाजार में उपलब्ध है, लेकिन उन बच्चों के लिए सुलभ नहीं है, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है.
  • बता दें गांव में या दूरदराज के स्थानों में पैदा हुए बच्चों के परिजनों तक इसकी जानकारी नहीं मिलने के कारण और महंगी वैक्सीन होने के कारण वे खरीदने में असमर्थ होते हैं.

इन पांच राज्यों में न्यूमोकॉकल वैक्सीन (Pneumococcal vaccine)
एक न्यूमोकॉकल कंजुगेट वैक्सीन (Pneumococcal Conjugate vaccine) पीसीवी (PCV) को यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (Universal Immunization Programme) के तहत 2017 से उत्तर प्रदेश, बिहार और पूरे हिमाचल प्रदेश के चिन्हित जिलों में चरणबद्ध तरीके से पेश किया गया था. वर्तमान में इसे मध्य प्रदेश, बिहार के शेष जिलों, उत्तर प्रदेश के छह नए जिलों और राजस्थान के नौ जिलों में शामिल किया जा रहा है.

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