नई दिल्ली:कोविड महामारी ने भारत की अर्थव्यवस्था को हिला दिया रहा परंतु भारत की उद्यमशीलता की भावना को कम करने में विफल रही है. ऐसा लगता है कि जॉब गिवर की संख्या में इजाफा हुआ है. ऐसा हम नहीं कर रहे हैं बल्कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) के आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं. एमसीए के अनुसार देश में कंपनियों के प्रशासन और सीमित देयता भागीदारी के लिए नोडल निकाय ने पिछले वित्तीय वर्ष (मार्च 2022 में समाप्त) में रिकॉर्ड 1,67,000 नई कंपनियों को पंजीकृत किया है. नई कंपनी पंजीकरण की यह रिकॉर्ड संख्या पहले कोविड वर्ष (2020-21) के दौरान 1,55,000 नए पंजीकरण का एक नया रिकॉर्ड बना था परंतु 2021-22 ने बीते वर्ष के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 (अप्रैल-मार्च 2021 की अवधि) कोरोना महामारी के प्रकोप से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ था क्योंकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2020 में दुनिया के सबसे कड़े लॉकडाउन को घातक चेन को तोड़ने के लिए लगाया था. कोविड 19 वायरस जो सबसे पहले चीन के वुहान क्षेत्र में मिला था. उसे देखते हुए कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान निगमित कंपनियों की संख्या पिछले किसी भी वर्ष में सबसे अधिक थी. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान निगमन वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान निगमन की तुलना में 8% ज्यादा है. यदि महामारी पूर्व के वर्ष के दौरान नई कंपनियों के पंजीकरण के आंकड़ों से तुलना करें तो पिछले दो वित्तीय वर्षों में नई कंपनियों का पंजीकरण एक रिकॉर्ड है. जैसा कि भारत में 2018-19 में केवल 1,22,000 नई कंपनियों और 2019-20 में 1,24,000 नई कंपनियों का पंजीकरण किया गया था. नई कंपनियों के पंजीकरण में वृद्धि हुई क्योंकि केंद्र ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) पर जोर दिया. एमसीए ने कई पहल की हैं, जिससे भारत में व्यवसाय शुरू करने के लिए कई प्रक्रियाओं, समय और लागत में कमी आयी.