नई दिल्लीः ऐतिहासिक राजपथ जो दशकों तक गणतंत्र दिवस की शान होता था, अब कर्तव्य पथ बन चुका है. यह गणतंत्र दिवस पहला अवसर होगा, जब देश के अति विशिष्ट लोगों की उपस्थिति में समारोह का आयोजन होगा. कर्तव्य पथ पर परेड निकलेगी और अलग-अलग राज्यों की कला संस्कृति से लवरेज झांकियां भी इस पथ से होकर गुजरेंगी.
रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन से लेकर पुराना किला तक जाने वाली यह तीन किलोमीटर लंबी सड़क मुगल काल में बसी दिल्ली और फिर ब्रिटिश काल में बसी नई दिल्ली को आपस में जोड़ने वाली मुख्य सड़कों में शामिल है. कर्त्तव्य पथ से पहले राजपथ और उससे भी पहले इस सड़क का नाम किंग्स-वे था. देश आजाद हुआ, फिर 1955 में इस सड़क का नाम किंग्स-वे से बदलकर राजपथ और अब कर्तव्य पथ हो गया है.
ब्रिटिश राजा किंग जॉर्ज पंचम से था किंग्स-वे का नाताः दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर संतोष राय इस सड़क के बारे में बताते हैं कि ब्रिटिश सरकार में किंग्स-वे नाम से जाने जाने वाला राजपथ रायसीना हिल पर राष्ट्रपति भवन से शुरू होता है और यह विजय चौक, इंडिया गेट से होते हुए पुराना किला पर जाकर समाप्त होता है. इस रोड की लंबाई करीब 3 किलोमीटर है. वर्ष 1911 में ब्रिटिश सरकार ने तय किया कि ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य की राजधानी कोलकाता से दिल्ली की जानी चाहिए, उसी वर्ष नई दिल्ली जिले में निर्माण कार्य शुरू हुआ. तब देश की राजधानी नई दिल्ली को डिजाइन करने का जिम्मा सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर को सौंपा गया था. लुटियंस को सबसे महान ब्रिटिश शिल्पकार माना जाता है और वर्ष 1920 में राजपथ बनकर तैयार हुआ था. तब इसका नाम किंग्स-वे ही था. यानी राजा का रास्ता और इसका संबंध ब्रिटिश राजा किंग जॉर्ज पंचम से था. किंग जॉर्ज पंचम वर्ष 1911 में दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए आए थे और उनके सम्मान में ब्रिटिश काल में इस रोड का नाम किंग्स-वे रखा गया था.
आजादी के बाद किंग्स-वे बना राजपथःआजादी के बाद 1955 में सेंट्रल विस्टा का नाम राजपथ में बदल गया. इससे मिलने वाली एक सड़क का नाम क्विंस-वे रखा गया था, जिसे अब जनपथ के नाम से जाना जाता है. राजपथ किंग्स-वे का ही हिंदी अनुवाद है. दशकों तक किंग्स-वे नाम से जाने गए राजपथ का नाम गत 8 सितंबर को एक बार फिर बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है.