नई दिल्ली :भारत तथा नेपाल ने संबंधों को और व्यापक बनाने के लिए शनिवार को सीमा पार रेल सेवा एवं कई अन्य विकास पहलों की शुरुआत की तथा नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीमा संबंधी मुद्दे को हल करने के लिए एक द्विपक्षीय तंत्र स्थापित करने की अपील की. मोदी और देउबा ने अपनी व्यापक बातचीत के बाद बिहार के जयनगर से नेपाल के कुर्था तक 35 किलोमीटर लंबे रेल नेटवर्क का डिजिटल तरीके से उद्घाटन किया और 90 किलोमीटर लंबी बिजली पारेषण लाइन शुरू की तथा नेपाल में ‘रुपे’ भुगतान कार्ड की शुरुआत की.
दोनों पक्षों ने 2020 में सीमा विवाद बढ़ने के बाद रिश्तों में आए गंभीर तनाव के पश्चात संबंधों को फिर पटरी पर लाने का संकेत देते हुए, बिजली क्षेत्र में सहयोग के लिए एक दृष्टि दस्तावेज पेश किया और स्वच्छ एवं रेलवे जैसे क्षेत्रों में संबंधों को बढ़ावा देने के लिए चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए. देउबा जुलाई 2021 में पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा के तहत शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे.
मोदी ने मीडिया को दिए अपने बयान में यह सुनिश्चित करने पर चर्चा का उल्लेख किया कि भारत और नेपाल के बीच खुली सीमाओं का अवांछित तत्वों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाए. उन्होंने कहा, 'हमने चर्चा की कि भारत और नेपाल के बीच खुली सीमाओं का अवांछित तत्वों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाए. हमने अपने रक्षा और सुरक्षा प्राधिकारियों के बीच सहयोग को गहरा करने पर जोर दिया. मुझे विश्वास है कि आज की हमारी वार्ता भारत-नेपाल संबंधों के बारे में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य में सक्षम होगी.'
देउबा ने मोदी की मौजूदगी में मीडिया को दिए बयान में कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में सीमा मुद्दे पर चर्चा हुई और उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री से द्विपक्षीय तंत्र की स्थापना के माध्यम से इसे हल करने का आग्रह किया. कुछ घंटे बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सामान्य समझ यह थी कि मुद्दे का समाधान बातचीत के माध्यम से जिम्मेदार तरीके से करने की जरूरत है और इसके 'राजनीतिकरण' से बचना चाहिए. श्रृंगला ने कहा, 'इस मुद्दे पर संक्षेप में चर्चा हुई. एक सामान्य समझ थी कि दोनों पक्षों को हमारे करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंधों की भावना में चर्चा और बातचीत के माध्यम से इसका जिम्मेदार तरीके से समाधान करने की जरूरत है और ऐसे मुद्दों के राजनीतिकरण से बचना चाहिए.'
सीमा मुद्दे के राजनीतिकरण से बचने की आवश्यकता पर श्रृंगला की टिप्पणी महत्व रखती है क्योंकि 2020 में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने बढ़ते घरेलू दबाव और उनके नेतृत्व को उत्पन्न चुनौती से मुकाबले के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करने का प्रयास किया था. नेपाल द्वारा 2020 में एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित किए जाने के बाद भारत और नेपाल के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था, जिसमें तीन भारतीय क्षेत्रों - लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख - को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था.