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भाषा और पंथ को लेकर चल रहा विवाद चिंता का विषय : भागवत

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Published : Jun 1, 2023, 10:52 PM IST

Updated : Jun 1, 2023, 10:59 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ( Rss chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए हर किसी को प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि भाषा, पंथ, लाभ को लेकर विवाद चल रहा जो चिंता का कारण है.

Rss chief Mohan Bhagwat
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत

नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए हर किसी को प्रयास करना चाहिए. नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी के दौरान सभी देशों में से सबसे अच्छा प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा, 'भारत की एकता और अखंडता के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए.' आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देश में इस वक्त कई तरह के विवाद चल रहे हैं. इसमें भाषा, पंथ, लाभ को लेकर विवाद चल रहा है. भागवत ने कहा कि न केवल बहस बल्कि हिंसा भी शुरू हो गई है और यह अत्यंत चिंता का विषय है.

इस मौके पर मोहन भागवत ने 25 दिनों तक प्रशिक्षण लेने वाले 682 स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया. उन्होंने मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक हालात पर चिंता जताई. उन्होंने कहा, "हमने देश की आजादी के 75वें वर्ष को उत्साह के साथ मनाया और हमें जी20 की अध्यक्षता का सम्मान भी मिला. साथ ही देश को नई संसद भी मिली." उन्होंने कहा, "वांछित जागरूकता के प्रयास हो रहे हैं, भारत विश्व में प्रसिद्ध हो रहा है. कुछ चीजें अच्छी हुई हैं, कुछ अभी बाकी हैं."

उन्होंने कहा कि हम यह भी भूलने लगे हैं कि हम सब एक हैं. उन्होंने जनता से अपील की कि मतभेद पैदा होने जैसा व्यवहार न करें. उन्होंने कहा, "सत्ता के लिए होड़ तो लगी रहेगी ही, लेकिन उसकी भी एक सीमा होती है. आप एक-दूसरे की आलोचना करें, लेकिन ऐसी हरकतें न करें जिससे आपस में मतभेद पैदा हो जाएं." सरसंघचालक ने कहा है कि देश की एकता बनाए रखने के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. भारत की हमारी मूल पहचान बनी हुई है. हालांकि, इस्लाम ने दुनिया पर आक्रमण किया है, लेकिन वह अपने दायरे में सिमट गया है. इस्लाम सुरक्षित है तो यहीं है. आपके पूर्वज एक ही हैं, सभी को समझना जरूरी है. उन्होंने कहा कि हम यह क्यों नहीं समझते कि हमारी पूजा पद्धति अलग होते हुए भी हमारे पूर्वज एक ही हैं. हमारी संस्कृति सबको स्वीकार करने वाली है. उन्होंने कहा, "हमें अपने पूर्वजों की गलती स्वीकार करनी होगी."

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Last Updated : Jun 1, 2023, 10:59 PM IST

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