नई दिल्ली :पवित्र रमजान महीने में एक तरफ मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ नजर आ रही है तो बाजारों में भी खरीदारों की रौनक देखने को मिल रही है. भीषण गर्मी के इस मौसम में घर से निकलते ही गला सूखने लगता है. ऐसे में ठंडे पानी की जरूरत महसूस होती है. अगर बाजार में नींबू पानी मिल जाए तो क्या कहने. ऐसे में जामा मस्जिद के पास शरबत की दुकान पर भीड़ जरूर नजर आती है. शरबत भी कोई ऐसा वैसा नहीं. भई! मोहब्बत का शरबत है.
दरअसल, शरबत बेचने वाले सद्दाम का कहना है कि उनकी दुकान पर दो तरह के शरबत मिलते हैं. एक तो मोहब्बत का शरबत और दूसरा नफरत का शरबत. सद्दाम के शरबत जैसी चाशनी उनकी बातों में भी टपकती है, जिसे सुनकर लोग खुद-ब-खुद खिंचे चले आते हैं. 15 रुपये और 30 रुपये की शरबत पीकर लोग प्यास बुझाने के साथ ही तसल्ली भी पाते हैं. सद्दाम के शरबत से अलग इनके शरबत बेचने का अंदाज भी लोगों को खूब भाता है. मोहब्बत का शरबत..मोहब्बत का शरबत.. की आवाज़ लगाकर दिनभर में सद्दाम 5 से 6 हजार रुपये का धंधा कर लेते हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन में कपड़े का धंधा चौपट हो गया था, जिसके बाद कुछ महीने पहले शरबत का काम शुरू किया. इस कमाई से घर आराम से चल जाता है.
जामा मस्जिद मार्केट कभी बंद ही नहीं होता है. यहां लोग खरीदारी करने के लिए दूरदराज इलाकों से पहुंचते हैं. हालांकि अभी रमजान का महीना चल रहा है, लिहाजा यहां कुछ ज्यादा ही रौनक है. इफ्तारी के लिए पहुंचे लोग इस मार्केट में खरीदारी भी करते हैं. नॉनवेज के लिए मशहूर इस इलाके को एक और पहचान अब मोहब्बत के शरबत ने बख्शी है. एक नुक्कड़ पर सजी सद्दाम की शरबत वाली दुकान के बाहर शरबत पीने वालों की अलग ही भीड़ नजर आती है. इसमें ज्यादातर नौजवानों की तादाद ही नजर आती है.