नई दिल्ली :आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. यहां कभी भूकंप से तबाही मचती है, तो कभी जलप्रलय से, इस बार भगवान बदरीनाथ धाम के प्रवेशद्वार जोशीमठ से आपदा की आहट आ रही है. जोशीमठ में आई इतनी दरारें और ये हालात क्या सरकारों की लापरवाही की वजह से हैं? इस सवाल पर रक्षा राज्य मंत्री जय भट्ट (Minister of State for Defence Ajay Bhatt ) ने कहा कि ये आपदा हैं और आपदा बताकर नही आतीं (Joshimath sinking case).
उन्होंने कहा कि हमने देखा है की उत्तराखंड, हिमाचल, देवभूमि या फिर पहाड़ी इलाके चाहे वो नॉर्थ ईस्ट हों, वहां ऐसी आपदाएं आती रहती हैं, यही हालात कमोबेश तटीय इलाकों में भी देखने को मिलते हैं जहां अचानक से तूफान या साइक्लोन आता है. भट्ट ने कहा की जोशीमठ की घटना भी बेहद दुखदाई है लेकिन हम इसे लेकर किसी पर दोष नही मढ़ सकते, जहां तक बात परिवारों की है तो हम कुछ दिन एक मकान में किराए पर भी रह जाते हैं तो उससे लगाव हो जाता है. ऐसे में उन परिवारों को जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ रहा उनके लिए दुखदाई तो है ही लेकिन खुद प्रधानमंत्री इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि किसी भी परिवार को कोई मुश्किल ना हो, खाने-पीने और रहने की दिक्कत ना आए.
उन्होंने कहा की जहां तक दोषारोपण की बात है उसके लिए ये समय उचित नहीं है. इस सवाल पर कि अलकनंदा में सालों पहले लगभग 70 के दशक में जब बाढ़ आई थी तब भी लोगों के घरों में दरारें आ गईं थी. क्या पूर्व की सरकारों को कोई बड़ा कदम नहीं उठाना चाहिए था ताकि इतने लोग विस्थापित ना होते?. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा की इसे ऐसे नहीं देखा जाना चाहिए सभी सरकारें लोगों की रक्षा का काम पहले करती हैं लेकिन विकास कार्य भी साथ-साथ चलते रहते हैं. टनल बन रहे, कई पहाड़ों के बीच से टनल निकाली जाती हैं, कुल मिलाकर परिस्थियों को देखते हुए ही कदम उठाना पड़ता है.