नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में माओवादियों द्वारा हाल ही में किए गए हमले के एक महत्वपूर्ण विश्लेषण ने दो प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला, जिसमें सुरक्षा एजेंसियों की ओर से खुफिया सूचनाओं की कमी और लाल उग्रवादियों द्वारा अपनाए गए सामरिक जवाबी आक्रामक अभियान (टीसीओसी) शामिल हैं. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले महीने आईईडी विस्फोटों के प्रारंभिक निष्कर्षों को गुप्त रखा था, जिसमें 10 सुरक्षा बल के जवानों और एक नागरिक की मौत हो गई थी.
अधिकारी ने बताया कि निष्कर्ष खुफिया विफलता की ओर इशारा करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप तोड़फोड़ हुई. अधिकारी ने कहा कि अधिकारी घटना का बिंदुवार विश्लेषण कर रहे हैं. नक्सली इलाके में पेट्रोलिंग के दौरान सिविलियन वाहनों के इस्तेमाल की भी जांच की जा रही है. जहां तक नक्सली इलाके में खुफिया जानकारी जुटाने की बात है, तो सभी एजेंसियां एक साथ काम करती हैं. हालांकि, एक आईईडी विस्फोट में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) टीम की मौत ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता पैदा कर दी है कि सूचना एकत्र करने वाली एजेंसियां मिलकर काम करती हैं या नहीं.
अधिकारी ने चल रहे विश्लेषण का अधिक खुलासा किए बिना कहा कि जवाबदेही होनी चाहिए. यह उम्मीद की जाती है कि विश्लेषण के अंतिम निष्कर्ष सब कुछ सामने लाएंगे. गौरतलब है कि मल्टी-एजेंसी क्रिटिकल एनालिसिस से यह भी पता चला है कि माओवादियों ने आक्रामण को अंजाम देने के लिए अपनी टीसीओसी रणनीति अपनाई है. टीसीओसी में, माओवादियों ने मार्च के महीने से जून के मध्य तक सुरक्षा बलों पर अधिकांश हमले किए.