नई दिल्लीःदिल्ली सरकार के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. CM अरविंद केजरीवाल ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया है. दिल्ली सरकार ने दोनों मंत्रियों का इस्तीफा मंजूरी के लिए LG के पास भेजा है. सिसोदिया को दिल्ली शराब घोटाले में CBI ने 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद रविवार देर शाम अरेस्ट कर लिया था, जिसके बाद CBI की विशेष कोर्ट ने उनको 4 मार्च तक के लिए रिमांड पर भेज दिया. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को मई 2022 में मनी लॉंड्रिंग केस में ED ने गिरफ्तार किया था. तब से वह तिहाड़ जेल में है.
दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे होने के बाद भी फिलहाल मंत्रिमंडल में नए चेहरे को शामिल नहीं होंगे. मंत्रिमंडल में शामिल कैलाश गहलोत और राजकुमार आनंद सिसोदिया के अधीन आने वाले 18 विभागों का बंटवारा होगा.
पहले ही सिसोदिया ने लिखा दिया था 3 पेज का इस्तीफाःबताया जा रहा है कि सिसोदिया का यह इस्तीफा मंगलवार दोपहरसुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिलने के बादसामने आया है. कहा जा रहा कि उन्होंने बिना डेट का तीन पेज का इस्तीफा पूछताछ पर जाने से पहले ही CM केजरीवाल को दिया था. कुछ ऐसा ही इस्तीफा सत्येंद्र जैन ने भी पहले ही भेज दिया था, जिसे मंगलवार को स्वीकार किया गया है.
सिसोदिया पर सबूत मिटाने का आरोपः CBI ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में सिसोदिया को आपराधिक षड्यंत्र रचने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और सबूतों को मिटाने और उससे छेड़खानी करने के मामले में 26 फरवरी को हिरासत में लिया था. इससे पहले CBI ने उन्हें तीन बार नोटिस देकर पूछताछ के लिए अपने कार्यालय बुलाया था. इसके अलावा 17 अगस्त 2022 को सिसोदिया के घर, कार्यालय व गांव में भी छापेमारी कर दस्तावेज व साक्ष्यों को जुटाया गया था.
कपिल मिश्रा ने बताया जनता की जीतःBJP नेता कपिल मिश्रा ने दोनों के इस्तीफे को जनता की जीत बताया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता की जीत हुई. भ्रष्ट मंत्रियों मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को कैबिनेट से इस्तीफ़ा देना पड़ा. जेल से सरकार चलाने का पाप बंद करना पड़ा. भ्रष्ट मंत्रियों को बचाने की केजरीवाल की सारी कोशिशें फेल हो गई.
शराब घोटाले के आरोपी नंबर एक पर 13 आरोप...
- शराब बेचने वाली कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी.
- एल-1 के टेंडर में शामिल कंपनी की 30 करोड़ रुपये की अर्नेस्ट डिपॉजिट मनी कंपनी को वापस कर दी गई.
- विदेशी शराब और बियर के केस पर मनमाने ढंग से 50 रुपए प्रति केस की छूट दी गई, जिसका फायदा कंपनियों को हुआ.
- ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दो जोन के ठेके दिए.
- कार्टल पर पाबंदी के बावजूद कंपनियों के कार्टल को लाइसेंस दिए गए.
- बिना एजेंडा और कैबिनेट नोट सर्कुलेट कराए. मनमाने तरीके से प्रस्ताव पास करवाएं.
- बिजनेसमैन को फायदा पहुंचाने के लिए ड्राई डे की संख्या 21 से घटाकर 3 की गई.
- मास्टर प्लान के नियमों का उल्लंघन करते हुए नॉन कन्फर्मिंग इलाकों में ठेके खोलने की इजाजत दी.
- ठेकेदारों का कमीशन 2.5 से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया.
- दो जोनों में शराब निर्माता कंपनी को रिटेल सेक्टर में शराब बेचने की इजाजत दी.
- LG की मंजूरी लिए बिना दो बार पॉलिसी को एक्सटेंड किया. मनमाने तरीके से डिस्काउंट ऑफर दिए, जिससे कुछ लोगों को फायदा हुआ.
- नई पॉलिसी लागू करने में जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन.
- टेंडर जारी होने के बाद 2021-22 में लाइसेंस हासिल करने वालों को कई तरह के गैरवाजिब लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर तय प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया.
सत्येंद्र जैन पर आरोपःप्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सत्येंद्र जैन को 30 मई को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग केस (PMLA) मामले में गिरफ्तार किया था. इसके बाद से वह तिहाड़ जेल में हैं. ईडी के अनुसार, जैन के पास मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चार शेल कंपनियों का वास्तविक नियंत्रण था. वहीं, सह-आरोपी अंकुश जैन और वैभव जैन सिर्फ डमी थे.
31 मार्च को ईडी ने अस्थायी रूप से मंत्री के स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनियों से संबंधित 4.81 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी सीज कर दी. छह जून को जांच एजेंसी ने सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित कई स्थानों पर छापे मारे. छापे के दौरान 2.85 करोड़ रुपए नकद और 1.80 किलोग्राम वजन के 133 सोने के सिक्के बरामद किए गए. जैन पर आरोप है कि उन्होंने गलत तरीके से कृषि भूमि भी खरीदी है. इस मामले में अभी भी जांच जारी है.
यह भी पढ़ेंः Education Vs Liquor Policy: दिल्ली सरकार की साख को शिक्षा ने उठाया, शराब ने डुबाया