नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक और चौंकाने वाली घटना पर मणिपुर सरकार से जवाब मांगा, जिसमें एक महिला ने दावा किया कि राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान भीड़ ने उसके कपड़े फाड़ दिए और उसका जुलूस निकाला, लेकिन पुलिस उसकी मदद के लिए नहीं आई. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मणिपुर सरकार को नोटिस जारी किया और मामले को मुख्य मामले के साथ 13 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.
वकील अमृता सरकार के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया कि भीड़ में शामिल महिलाओं ने पीड़िता के एक साल के बच्चे को भी मारा. हमले के कारण उसके हाथों में फ्रैक्चर हो गया और सिर पर गंभीर चोटें आईं. याचिका में कहा गया है, "भीड़ ने याचिकाकर्ता नंबर-2 के कपड़े फाड़ दिए और उसे इम्फाल में डिप्टी कमिश्नर भवन तक परेड करने के लिए मजबूर किया गया, जहां पुलिस खड़ी थी लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया."
याचिका में एक अन्य मामले में राज्य पुलिस द्वारा निष्क्रियता का भी आरोप लगाया गया, जहां एक महिला सहित दो लोगों को "मैतेई समुदाय की भीड़" ने पीट-पीटकर मार डाला था. याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता नंबर-1 के पिता ने उक्त घटना के संबंध में 20 मई 2023 को प्राथमिकी दर्ज की है. हालांकि, आज तक प्रतिवादी (मणिपुर राज्य) द्वारा ऐसे कट्टरपंथी मेइती समूहों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.”