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Published : Nov 30, 2021, 7:09 PM IST

Updated : Nov 30, 2021, 10:44 PM IST

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मुंबई पहुंचीं ममता, आदित्य ठाकरे, संजय राउत से मिलीं, नहीं हुई सीएम उद्धव से मुलाकात

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर मुंबई पहुंचीं, जहां उन्होंने सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन किए. ममता और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे के बीच मुलाकात हुई. इस दौरान शिवसेना सांसद संजय राउत भी मौजूद रहे. इसके अलावा ममता शरद पवार से भी मुलाकात करेंगी.

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ममता ने सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन कि

मुंबई/ कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार से मुंबई के दो दिवसीय दौरे पर हैं. यहां उनका शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के शीर्ष नेताओं के अलावा प्रमुख उद्योगपतियों से मिलने का कार्यक्रम है. उनके आने से यहां का राजनीतिक माहौल गरमा गया है.

उद्धव और ममता की मुलाकता को लेकर लगाए जा रहे कयासों के बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने सफाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया, उद्धव ठाकरे स्वास्थ्य कारणों के चलते ममता बनर्जी से नहीं मिल पाएंगे.

ममता बनर्जी ने आज यहां (मुंबई) में शिवसेना नेता व पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे और सांसद व मुख्य प्रवक्ता संजय राउत से मुलाकात की. बता दें कि, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना और एनसीपी के अलावा कांग्रेस तीसरी सहयोगी के रूप में शामिल है.

ममता ने सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन किए

एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने कहा, "पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी कल दोपहर 3 बजे मुंबई में हमारे पार्टी अध्यक्ष शरद पवार साहब के आवास 'सिल्वर ओक' में शिष्टाचार मुलाकात करेंगी."

मंगलवार शाम राउत और आदित्य ठाकरे दक्षिण मुंबई के नरीमन पॉइंट के एक पांच सितारा होटल में ममता से मिले. हालांकि बैठक के एजेंडे को गुप्त रखा गया.

ममता यहां आने के बाद प्रभादेवी स्थित प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचीं. इस मंदिर का महाराष्ट्रियों के लिए गहरा धार्मिक महत्व है.

ममता वहां से गिरगांव चौपाटी समुद्र तट के लिए रवाना हुईं और 26/11 के नायक - पुलिसकर्मी तुकाराम ओम्बले के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने 27 नवंबर, 2008 को मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ा था.

कुछ हलकों में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ ममता की संभावित बैठक की अटकलें थीं, लेकिन इसे स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया, क्योंकि उद्धव रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के बाद इस समय आराम कर रहे हैं. ममता ने हालांकि संजय राउत से उद्धव के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की.

ममता अपने राज्य में निवेश के लिए बुधवार को कई शीर्ष उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट जगत के प्रतिनिधियों से मिलेंगी. उम्मीद है कि ममता उन्हें अप्रैल 2022 में होने वाले बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के लिए आमंत्रित करेंगी.

हालांकि, कांग्रेस के महाराष्ट्र महासचिव और मीडिया समन्वयक जाकिर अहमद ने ममता बनर्जी की राजनीति की शैली की आलोचना करते हुए कहा कि वह जमीनी हकीकत का आकलन करने में विफल रही हैं और उन्हें प्रशांत किशोर जैसे राजनीतिक नौसिखिए को त्याग देना चाहिए.

उन्होंने कहा, "कांग्रेस और राहुल गांधी आरएसएस, भाजपा और (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी-(गृहमंत्री) अमित शाह से लड़ते हैं. लेकिन ममता राहुल गांधी और कांग्रेस को चुनौती देंगी. जाने-अनजाने में वह भगवा समूहों की मदद कर रही हैं. ऐसी ही गलतियां मायावती, मुलायम सिंह यादव और अन्य लोगों ने अतीत में की हैं."

वहीं, एनसीपी नेता मलिक ने कहा कि पवार ने बार-बार सभी विपक्षी दलों को एकजुट होने की जरूरत पर जोर दिया है, लेकिन कांग्रेस के बिना ऐसा गठबंधन संभव नहीं था.

मलिक ने कहा, "हमें लगता है कि अगर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस महाराष्ट्र में हाथ मिला सकती हैं, तो टीएमसी भी कांग्रेस को सहयोग दे सकती है. अगर कुछ मतभेद हैं, तो उन्हें सुलझाया जा सकता है."

इसी साल मई में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की जीत के बाद ममता एक नई ऊंचाई पर हैं और राष्ट्रीय राजनीति में उड़ान भरने के लिए अपने पंख फड़फड़ा रही हैं.

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पवार बीते अप्रैल में विधानसभा चुनावों के दौरान ममता बनर्जी के लिए प्रचार करने की योजना बना रहे थे, लेकिन कुछ बाधाओं के कारण ऐसा नहीं कर पाए. जबकि शिवसेना ने तृणमूल की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए वहां अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करने का फैसला किया था.

पिछले कुछ वर्षो से पवार और ममता, दोनों 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं.

पवार के अलावा, ममता का उद्धव ठाकरे के साथ बहुत अच्छा तालमेल है. वह अतीत में उनसे मिल चुकी हैं, हालांकि कांग्रेस के साथ उनके संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं.

एनसीपी और कांग्रेस की तरह शिवसेना और टीएमसी भाजपा की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पार्टियां हैं. उद्धव और ममता उग्र वक्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं. इस समय ये दोनों अपने-अपने घरेलू मैदानों पर काफी शक्तिशाली हैं.

Last Updated : Nov 30, 2021, 10:44 PM IST

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