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महाराष्ट्र विधानसभा सत्र : नौ विधेयकों को मिली मंजूरी, कृषि बिल लटके

महाराष्ट्र विधानमंडल के दो दिवसीय मॉनसून सत्र के दौरान दोनों सदनों से नौ बिल पारित किए गए. महाराष्ट्र सरकार ने नए कृषि कानूनों के जवाब में कृषि, सहकारिता, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति से संबंधित तीन संशोधन विधेयक सदन में पेश किए थे, लेकिन ये विधायक लंबित रह गए.

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Published : Jul 7, 2021, 4:57 AM IST

Updated : Jul 7, 2021, 7:02 AM IST

Maharashtra Assembly session
Maharashtra Assembly session

मुंबई :महाराष्ट्र विधानमंडल का मॉनसून सत्र मंगलवार को खत्म हो गया. सत्र की समाप्ति पर विधानसभा अध्यक्ष ने घोषणा की कि सात दिसंबर से नागपुर में शीतकालीन सत्र आयोजित किया जाएगा. दो दिवसीय मॉनसून सत्र 10 घंटे 10 मिनट तक चला. इस दौरान सदन में 12 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से नौ बिल पास हुए. मॉनसून सत्र में सरकार के चार प्रस्तावों को मंजूरी मिली.

सदन में पारित होने वाले विधेयक हैं- शहरी वृक्ष संरक्षण संशोधन विधेयक, महाराष्ट्र परगना और कुलकर्णी सम्पदा को खत्म करने के लिए विधेयक, महाराष्ट्र सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, महाराष्ट्र नर्स (संशोधन) विधेयक, महाराष्ट्र माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, महाराष्ट्र राजभाषा (संशोधन) विधेयक, महाराष्ट्र लोक विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, महाराष्ट्र विधानसभा विधेयक 2021, महाराष्ट्र (द्वितीय पूरक) विनियोग विधेयक, 2021.

महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र द्वारा लागू किये गये तीन नए कृषि कानूनों के जवाब में कृषि, सहकारिता, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति से संबंधित तीन संशोधन विधेयक सदन में पेश किए थे. लेकिन ये विधायक लंबित रह गए.

इनमें आवश्यक उत्पाद (संशोधन), किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण), कीमत गारंटी विधेयक, कृषि संबंधी समझौते (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक और केंद्र सरकार के किसान उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य में संशोधन (बढ़ावा एवं सुविधा) विधेयक शामिल हैं.

इन विधेयकों में व्यापारियों के साथ कृषि अनुबंध में उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दर से अधिक कीमत देने, देय राशि का समय पर भुगतान, किसानों का उत्पीड़न करने पर तीन साल की जेल या पांच लाख रुपये जुर्माना या दोनों आदि का प्रावधान हैं. इसमें उत्पादन, आपूर्ति, वितरण और आवश्यक वस्तुओं के भंडार की सीमा तय करने आदि के नियमन एवं रोक की शक्ति राज्य सरकार के पास होने की बात है.

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सदन में राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि केंद्र के कृषि कानून बिना चर्चा के पारित किए गए और उनके अनेक प्रावधान राज्य सरकारों के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं. उन्होंने कहा, राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार है और हम केंद्र के कृषि कानूनों में संशोधन का सुझाव देना चाहते हैं, जो हमारे मुताबिक किसान विरोधी हैं.

Last Updated : Jul 7, 2021, 7:02 AM IST

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