दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

असंसदीय भाषा : लोकसभा अध्यक्ष बोले, 'किसी भी शब्द पर पाबंदी नहीं, संकलन जारी'

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने साफ कर दिया है कि किसी भी शब्द पर कोई पाबंदी नहीं लगी है. उन्होंने कहा, 'कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं है, निकाले गए शब्दों का संकलन जारी है.' उन्होंने कहा कि यह दरअसल एक प्रक्रिया है, जिसके तहत अलग-अलग सदनों (विधानसभा सहित) द्वारा घोषित किए गए असंसदीय शब्दों का संकलन किया जाता है. जिन शब्दों को असंसदीय माना गया है, उनमें कई सारे शब्द यूपीए के दौरान भी असंसदीय घोषित किए गए थे. कुछ ऐसे भी शब्द हैं, जिन्हें कॉमनवेल्थ देशों की संसद ने भी असंसदीय माना है.

Lok Sabha speaker Om Birla
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

By

Published : Jul 14, 2022, 5:25 PM IST

Updated : Jul 14, 2022, 5:43 PM IST

नई दिल्ली : लोकसभा सचिवालय द्वारा 'असंसदीय शब्दों' की सूची के संकलन में आम बोलचाल के कुछ शब्दों को शामिल किए जाने को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि यह नया सुझाव या आदेश नहीं है. उन्होंने कहा कि इन शब्दों को संसद और राज्य विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों द्वारा पहले ही कार्यवाही से बाहर निकाला जा चुका है. विवाद बढ़ने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने खुद ही सफाई दी. उन्होंने कहा कि सारा विवाद भ्रम फैलाने की एक कोशिश है. ओम बिरला ने कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसका संकलन अभी भी जारी है. स्पीकर ने कहा कि सदन की कार्यवाही के दौरान बोलने और शब्दों के चयन पर कोई पाबंदी नहीं है.

उन्होंने कहा कि इन शब्दों को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान भी असंसदीय माना गया था. संसद सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि असंसदीय शब्दों की सूची में पिछले साल 62 नए शब्द जोड़े गए हैं और इनमें से कुछ की समीक्षा हो रही होगी.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह सूची कोई नया सुझाव नहीं है बल्कि लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभा की कार्यवाही से निकाले गए शब्दों का संकलन मात्र है. उनके मुताबिक इस सूची में ऐसे शब्द भी शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रमंडल देशों की संसद में भी असंसदीय माना जाता है.

सूत्रों ने कहा कि विपक्ष ने असंसदीय शब्दों के संकलन पर हायतौबा मचा रखा है लेकिन दिलचस्प ये है कि वास्तविकता को जाने बगैर ही उन्होंने तूफान खड़ा करने की कोशिश की है. एक अधिकारी ने कहा, 'इनमें अधिकतर शब्द ऐसे हैं जो संप्रग के कार्यकाल में भी असंसदीय माने जाते थे. यह शब्दों का संकलन मात्र है ना कि कोई सुझाव या आदेश है.'

लोकसभा सूत्रों का कहना है कि सदन की कार्यवाही से निकाले गए शब्दों का संकलन किया जाना कोई नई बात नहीं है और 1954 से ही अस्तित्व में है. उनके मुताबिक यह सूची सांसदों के लिए संदर्भ का काम करता है. उन्होंने कहा, 'यदि कोई शब्द असंसदीय पाया जाता है और वह संसद की गरिमा और मर्यादा के अनुकूल नहीं रहता है तो सदनों के पीठासीन अधिकारियों का अधिकारक्षेत्र है कि वह उन्हें सदन की कार्यवाही से बाहर करें.'

उल्लेखनीय है कि संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सदस्य अब चर्चा में हिस्सा लेते हुए 'जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिठ्ठू' जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जायेगा और वे सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे.

दरअसल, लोकसभा सचिवालय ने 'असंसदीय शब्द 2021' शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिन्हें 'असंसदीय अभिव्यक्ति' की श्रेणी में रखा गया है. विपक्षी दलों ने इस सूत्री में शामिल शब्दों के लिए सरकार की आलोचना की है और कहा कि 'भाजपा कैसे देश को बर्बाद कर रही है, इस बारे में उनकी ओर से इस्तेमाल किए जाने हर शब्द' को असंसदीय बता दिया गया है.

सरकारी सूत्रों ने उल्लेख किया कि ऑस्ट्रलिया की संसद में 'एब्यूज्ड' (अपमानित या प्रताड़ित) शब्द को असंसदीय माना जाता है जबकि क्यूबेक की नेशनल एसेंबली में 'चाइल्डिशनेस' (बचकानापन) शब्द इस्तेमाल नहीं होता है. उन्होंने बताया कि 'बजट में लॉलीपोप' होने और 'आप झूठ बोलकर यहां पहुंचे हैं' जैसे वाक्यों या मुहावरों को पंजाब विधानसभा में कार्यवाही से बाहर किया गया था.

सूत्रों ने कहा कि 'अंट, शंट, अक्षम, अनपढ़, अनर्गल' जैसे शब्दों को छत्तीसगढ़ की विधानसभा की कार्यवाही से निकाला गया है. एक सूत्र ने कहा, 'इनमें से अधिकतर शब्द ऐसे हैं जो संप्रग सरकार के दौरान भी असंसदीय माने जाते थे.'

Last Updated : Jul 14, 2022, 5:43 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details