मेरठ:भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी शनिवार को मेरठ पहुंचे. उन्होंने एक निजी यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. मीडिया से मुखातिब होते हुए विपक्षी पार्टियों द्वारा इंडिया नाम रखे जाने पर कहा कि नाम बदलने की जरूरत उन्हें पड़ती है, जिनकी या तो कम्पनी दीवालिया हो गई हो या फिर उसकी छवि इतनी खराब हो गई हो कि उसे पता हो कि अब उस पर कोई भरोसा नहीं करने वाला. मुखौटा लगा लेने से मुख की वास्तविक स्थिति नहीं बदल जाती.
बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इंडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि पीएम मोदी ने विपक्ष के नाम बदलने पर बोला भी है कि नाम बदलने से काम नहीं बदल जाते. उन्होंने कहा कि वे यह कहना चाहते हैं कि वह वही दल हैं, जिसने गठबंधन एनडीए बनाया था. 25 साल हो गए. आज भी एनडीए है. उन्होंने कहा कि वे कई बार टीवी डिबेट में पूछ चुके हैं कि भाई आपके तथाकथित इंडिया का हिन्दी में फुल नाम क्या है. शुरुआत में इसका जवाब विपक्ष के नेता गूगल करके भी नहीं दे पाए थे. वह कहते हैं कि अंग्रेजी में सोचा और नाम रख लिया. यह विचार ही नहीं किया कि हिंदी में क्या कहना है. कहा कि वह बताना चाहते हैं कि 2018 में सरकार बनी तो इन 6 साल के अलावा विपक्ष बता दे कि जब दंगा या हिंसा मणिपुर में न हुई हो.
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि मणिपुर पर विपक्ष ने खूब हल्ला मचाया और जब प्रधानमंत्री बोलने वाले थे तो विपक्ष ने संसद से ही वॉकआउट कर दिया. इसका अर्थ यह हुआ कि मणिपुर को लेकर विपक्ष के अंदर कोई संवेदना नहीं थी. वह सिर्फ राजनीतिक कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी का नाम लिया गया. बाद में राहुल गांधी पीछे हट गए. इससे साफ है कि राहुल गांधी के प्रति उनकी पार्टी का ही भरोसा नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी से पूछिए कि नाम आगे करके पीछे क्यों कर लिया.
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पीछे मुड़कर देखें तो नरेंद्र मोदी को लेकर जितनी भी रेटिंग्स आई हैं, सभी में पीएम मोदी 50 प्रतिशत से ऊपर ही हैं. वह कहते हैं कि उन्हें लगता है कि भारत नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रहा है. विपक्ष को लेकर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि विपक्ष की लड़ाई हमसे नहीं है, वहां तो आपस में ही लड़कर एक-दूसरे को निपटाना है. उन्होंने कहा कि इसी सत्र में देखा जा सकता है कि आम आदमी ने दिल्ली विधेयक पर कांग्रेस का समर्थन ले लिया. इसके बदले में कांग्रेस भी अविश्वास प्रस्ताव ले आई. अविश्वास प्रस्ताव में सबसे ज्यादा लीड भी कांग्रेस को ही मिली.