नई दिल्ली : केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि वर्ष 2019 से लेकर इस वर्ष 23 जुलाई तक उच्चतम न्यायालय में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कुल 3,036 जनहित याचिकाए दायर की गयी और इसी अवधि के दौरान इससे संबंधित लंबित मामलों की संख्या 2,879 है.
रिजिजू ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्य सभाको यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित 1176 मामले उच्चतम न्यायालय में दायर किए गए जबकि 2020 में यह संख्या बढ़कर 1319 हो गई. इस साल 23 जुलाई तक कुल 541 ऐसे मामले दायर किए गए हैं.
विगत दो वर्ष और चालू वर्ष के दौरान लंबित याचिकाओं के बार में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, ''उच्चतम न्यायालय में 23 जुलाई तक मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित लंबित मामलों की कुल संख्या 2879 है.'
देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में मौलिक अधिकारों के उल्लघन से संबंधित दायर मामलों के मामले में उड़िसा सबसे आगे है जहां 2019 से लेकर अब तक कुल 1552 याचिकाए दायर की गई है. इसके बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का नंबर आता है जहां इसी अवधि में अभी तक कुल 1487 याचिकाएं दायर की गई हैं.
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इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय तीसरे स्थान पर है. यहां अब तक 1479 याचिकाएं दायर की गई हैं.
रिजिजू के मुताबिक कलकत्ता उच्च न्यायालय में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित 204 याचिकाएं, छत्तीसगढ़ में छह, गुवाहाटी में 165, गुजरात में 77, आंध्र प्रदेश में 646, झारखंड में 71, मद्रास उच्च न्यायालय में 12, मणिपुर में 141, मेघालय में 13, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में 587, राजस्थान उच्च न्यायालय में 631, त्रिपुरा में 44 तेलंगाना में 30 और उत्तराखंड में 555 याचिकाएं दायर की गई हैं.
केंद्रीय मंत्री के अनुसार बंबई, इलाहाबाद, दिल्ली, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर सहित कुछ उच्च न्यायालयों ने बताया है कि ऐसी जनहित याचिकाओं के बारे में अलग से कोई जानकारी नहीं रखी जाती.
वर्ष 2019 से लेकर अब तक विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित जनहित याचिकाओं के बारे में पूछे जाने पर रिजिजू ने बताया कि ऐसे सर्वाधिक मामले उड़ीसा उच्च न्यायालय में हैं. यहां लंबित जन हित मामलों की संख्या 7802 है. मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित जनहित याचिकाओं की कुल संख्या 5698 है जबकि राजस्थान में ऐसे मामलों की संख्या 2750 है.
(पीटीआई-भाषा)