पटना: रेलवे में जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में आज बुधवार 4 अक्टूबर को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत 17 आरोपियों की दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी हुई. जहां अदालत ने दोनों तरफ की दलीले सुनने के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी. बता दे कि सीबीआई ने कोर्ट में इनके खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी, जिसके बाद सभी आरोपियों को समन भेजा गया था.
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सीबीआई ने दायर की थी नई चार्जशीट : बता दें कि 3 जुलाई, 2023 को सीबीआई ने जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में नई चार्जशीट दायर की थी. इस चार्जशीट में लालू यादव के छोटे बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को पहली बार आरोपी बनाया गया है. इससे पहले 22 सितंबर को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट को बताया था कि लालू प्रसाद यादव समेत तीन अधिकारियों पर केस चलाने के लिए केंन्द्रीय मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है. सीबीआई ने कोर्ट को जिन अधिकारियों के नाम बताए, उनमें मनोज पांडे, महीप कपूर और पीएल बंकर शामिल है.
लैंड फॉर जॉब स्कैम क्या है? : ऐसे में यह समझना जरूरी है कि लैंड फॉर जॉब स्कैम आखिर क्या है. लालू परिवार इस घोटाले में कैसे फंसा?. और रेलवे में यह स्कैम कैसे हुआ?. रेलवे में जमीन के बदले नौकरी घोटाला करीब 14 साल पुराना है. इस दौरान यूपीए की सरकार 2004-2009 में लालू यादव रेल मंत्री थे. लालू पर रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में ग्रुप डी अभ्यर्थियों को जमीन के बदले नौकरी देने का आरोप लगा.
सीबीआई की FIR में क्या है आरोप? : इस मामले में 18 मई 2022 को सीबीआई ने केस दर्ज किया था. एफआईआर के मुताबिक, इस पूरे खेल में अभ्यर्थियों को ग्रुप डी के पदों पर विकल्प यानी सब्स्टीट्यूट भर्ती किया गया. लेकिन जब जमीन का सौदा हो गया तो इन्हें नियमित कर दिया गया. सीबीआई के मुताबिक, रेलवे में भर्ती के लिए न कोई विज्ञापन निकाला गया और न ही नोटिफिकेशन जारी किया गया था.
कितनों को नौकरी दी, कितनों से जमीन ली? : सीबीआई की माने तो सात अभ्यर्थियों को के परिवारों से जमीन ली गई और उन्हें रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी दी गई. आरोप है कि लालू परिवार ने इन सभी से करीब 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन ली और ये जमीन काफी कम दामों में बेची गई. इनेमं सात अभ्यर्थियों में से पांच ने जमीन लालू परिवार को जमीन बेचा जबकि, दो ने जमीन गिफ्ट में दी.
एक दो नहीं.. 7-7 डील हुईं? : सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, पटना में लालू परिवार ने करीब 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन पर कब्जा किया है. ये जमीन हाजीपुर, जबलपुर, जयपुर, मुंबई और कोलकाता में जिन अभ्यर्थियों को नौकरी मिली उनसे पहले किसी दूसरे के नाम पर ट्रांसफर किया गया. उसके बाद लालू परिवार ने खरीदा. इनमें पटना के रहने वाले किशुन देव, राज कुमार, अजय कुमार और मिथिलेश कुमार शामिल है, जिन्हें मुंबई में ग्रुप डी में नौकरी मिली. इसी तरह 2 और लोगों की डील हुई, जिन्हें जमीन के बदले अलग-अलग शहरों में नौकरी मिली.
तेजस्वी यादव पर क्या है आरोप? : सीबीआई की माने तो साल 2007 में एक जमीन खरीदी गई, जमीन की कीमत करीब 10.83 लाख थी. एक और जमीन खरीदी गई, दोनों जमीन एके इन्फोसिस्टम के नाम पर ली गई. लेकिन कुछ समय बाद इस दोनों जमीन का मालिकाना हक सिर्फ एक लाख में तेजस्वी और राबड़ी देवी के नाम पर ट्रांसफर हो गया. जबकि जमीन का मार्केट रेल कहीं ज्यादा था.