पटना:बिहार के पूर्व सीएमलालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के लिए अनगाइडेड मिसाइल बन गए हैं. अब उन्होंने पार्टी के एमएलसी सौरभ कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलकर नेतृत्व की मुसीबत बढ़ा दी है. तेज प्रताप ने कहा कि पैसे के बल पर सौरभ एमएलसी बने हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि गरीबों का पैसा लूटकर सौरभ अमीर बने हैं. वह इतना अमीर बन चुके हैं कि 50 लाख का बाथरूम बना रहे हैं. पार्टी नेता के खिलाफ उनका यह बयान अब पार्टी के लिए ही सिरदर्द बन गया है.
यह पहली बार नहीं है जब तेज प्रताप ने अपना और पार्टी का मजाक उड़ाया है. बल्कि, इससे पहले भी उन्होंने पार्टी को शर्मसार करने के लिए कई बयान जारी किए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि तेज प्रताप अपने छोटे भाई तेजस्वी प्रसाद यादव का कद ऊंचा होने के कारण असुरक्षित महसूस करते हैं, क्योंकि लालू की अनुपस्थिति में सारे निर्णय तेजस्वी लेते हैं. लालू फिलहाल चारा घोटाला मामले में सलाखों के पीछे हैं.
तेजस्वी के कारण तेज प्रताप असहज: जब से लालू जेल गए हैं, उन्होंने तेजस्वी को पार्टी सौंप दी है. अब तेजस्वी ही सभी महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं, जिससे तेज प्रताप असहज महसूस (Tej Pratap uncomfortable because of Tejashwi) करते हैं. भले ही तेज प्रताप सबसे बड़े हैं, लेकिन छोटा भाई पार्टी में शीर्ष पर है . तेजस्वी लालू यादव के राजनीतिक उत्तराधिकारी भी हैं. ये सब बातें तेज प्रताप को अपना नियंत्रण खोने के लिए प्रेरित करती हैं और बार-बार वह पार्टी और उसके नेताओं के खिलाफ विवादित बयान देते रहते हैं. पिछले साल तेज प्रताप ने अपने ही प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी और उन्हें आरएसएस का सहयोगी बताया था. इससे पहले वरिष्ठ नेता स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह के लिए की गई 'लोटा' टिप्पणी अभी भी पार्टी नेताओं को परेशान करती है.जब पार्टी में रघुवंश के राजद से बाहर होने की अटकलें चल रही थी तब तेज प्रताप ने कहा था कि अगर कोई समुद्र से पानी का एक लोटा निकालेगा तो इससे ज्यादा असर नहीं होगा.
रामचंद्र पूर्वे को लगाई थी फटकार: 2018 में तेज प्रताप ने तत्कालीन राजद राज्य इकाई के अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को फटकार लगाई थी और अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट पोस्ट किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पूर्वे ने उनके साथ काम करने वाले लोगों की अनदेखी करना शुरू कर दिया था. कई बार लालू और राबड़ी दोनों ने तेज प्रताप को समझाने की पूरी कोशिश की कि वे ऐसे बयान न दें जो पार्टी के खिलाफ हो, लेकिन उनकी सारी कोशिशें बेकार गई.