गाद के कारण नहीं खुल रहे मलाणा डैम के गेट कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के कारण नदी नाले उफान पर हैं. इस बीच कुल्लू की मणिकर्ण घाटी में स्थित एक बांध खतरे की घंटी बजा रहा है. बताया जा रहा है कि पानी में आई गाद या सिल्ट के कारण डैम के गेट नहीं खुल रहे हैं. जिसके कारण पानी बांध के ऊपर से बह रहा है. डैम के नुकसान और फिर बाढ़ की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने एहतियान करीब 20 किलोमीटर का इलाका खाली करवाया है.
खतरे की घंटी बजा रहा डैम-मलाणा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट-2 का ये डैम मलाणा नाले पर बना है. भारी बारिश के कारण नाले का जलस्तर बढ़ गया है जिसके कारण डैम भी लबालब भर गया था. इस डैम के तीन गेट हैं, जो फिलहाल सिल्ट की वजह से जाम हो गए हैं. डैम के गेट ना खुलने के कारण पानी डैम के ऊपर से बह रहा है. 100 मेगावाट की क्षमता का यह डैम मलाणा की एक पहाड़ी पर बना है. जिसे मलाणा जल विद्युत परियोजना-2 कहा जाता है.
मलाणा डैम के गेट हुए ब्लॉक एनडीआरएफ भी तैनात-दरअसल सोमवार को डैम के गेट नहीं खुल पाने के बाद कुल्लू प्रशासन को जानकारी दी गई. अब जिला प्रशासन की ओर से डैम पर एनडीआरएफ की टीम को भी तैनात किया गया है जो हाइड्रो प्रोजेक्ट मलाणा की टीम के साथ बंद पड़े गेट खोलने का काम कर रही है. प्रशासन के मुताबिक मलाणा नाले का पानी लगातार बांध के ऊपर से बह रहा है जिससे फिलहाल कोई खतरा नहीं है.
निचले इलाके खाली करवाए जा रहे हैं- कुल्लू के जिला उपायुक्त आशुतोष गर्ग के मुताबिक मलाणा-2 की डैम साइट पर सिल्ट की वजह से बांध के गेट चोक हो गए हैं. जिन्हें प्रोजेक्ट प्रबंधन ऑपरेट नहीं कर पा रहा है. डीसी के मुताबिक पानी का फ्लो फिलहाल 30 क्यूसेक हो जो फिलहाल घबराने की बात नहीं है. लेकिन डैम को डैमेज होने की आशंका को देखते हुए एहतियातन निचले इलाकों को खाली करवाया जा रहा है. डैम अथॉरिटी और प्रदेश सरकार के साथ संपर्क में है और जल्द से जल्द डैम के गेट ठीक करने को कहा गया है. ताकि डैम में भरे पानी को गेट से निकाला जा सके. डैम में तीन गेट हैं जो फिलहाल बंद है और इन्हें खोलने की कोशिश की जा रही है.
मलाणा डैम के ऊपर से बह रहा है पानी पार्वती और ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ेगा- प्रशासन के मुताबिक अभी घबराने वाली बात नहीं है लेकिन एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं. लेकिन अगर मलाणा प्रोजेक्ट के इस डैम को नुकसान होता है तो मलाणा नाले के साथ-साथ पार्वती और ब्यास नदी का जलस्तर भी बढ़ेगा. जिसे देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है कि नदी नालों के किनारे ना जाएं.
इन इलाकों को खतरा- एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला के मुताबिक एहतियातन जिया, हाथी थान समेत पार्वती नदी के किनारे जरी से भुंतर तक के गांवों को खाली करवाया जा रहा है ताकि कोई जानी नुकसान ना हो. गौरतलब है कि पार्वती नदी के किनारे कई लोगों के खेत हैं और प्रशासन की कोशिश है लोगों को नदी से दूर ले जाया जाए. इसलिये प्रशासन की टीमें पार्वती नदी के जल स्तर पर नजर बनाए हुए है. पार्वती नदी के अलावा ब्यास नदी के किनारे भी रिहायशी बस्तियां हैं. ऐसे में प्रशासन ने ब्यास के किनारे जरी, भुंतर, बजौरा में भी इलाकों में अलर्ट जारी किया है. जिला उपायुक्त आशुतोष गर्ग के मुताबिक प्रशासन ने 20 किलोमीटर के इलाके में रहने वाले लोगों को सुरक्षित हटा दिया गया है. इसके अलावा स्थानीय लोगों से आग्रह किया गया है कि नदी नालों के किनारे बिल्कुल ना जाएं.
हिमाचल में मौसम का अलर्ट- मौसम विभाग ने हिमाचल में 25 से 28 जुलाई तक बारिश का अलर्ट जारी किया है. इस दौरान नदी नाले उफान पर रहेंगे और लैंडस्लाइड होने का खतरा भी रहेगा. गौरतलब है कि हिमाचल में 24 जुलाई को मानसून ने दस्तक दी थी. तब से अब तक हिमाचल में कुल 164 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 6 हजार घरों को नुकसान भी पहुंचा है. हिमाचल आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक अब तक 5 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है. 696 सड़कें अभी भी बंद हैं और कई पेयजल परियोजनाए अब भी बाधित हैं. प्रदेश में सड़कों को बहुत अधिक नुकसान हुआ है. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही केंद्रीय टीम हिमाचल में बारिश से हुए नुकसान का जायजा लेकर गई है.
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