हैदराबाद :श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की आज (9 सितंबर) पुण्यतिथि है. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को केरल के कालीकट (अब कोझीकोड) में एक संपन्न परिवार में हुआ था. उनके पिता पुथेनपर्क्कल कुरियन ब्रिटिश कोचीन में एक सिविल सर्जन थे और मां एक शिक्षित महिला होने के साथ-साथ एक असाधारण पियानो वादक भी थीं.
डॉ. कुरियन ने मद्रास के लोयोला कॉलेज से भौतिकी में बी.एससी का डिग्री हासिल की. वह सरकारी छात्रवृत्ति पर संयुक्त राज्य अमेरिका गए, जहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग (डिस्टिंक्शन) में मास्टर ऑफ साइंस में डिग्री हासिल की. 13 मई, 1949 को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह भारत लौट आए. यहां गुजरात के आनंद शहर पहुंचने पर उन्हें पता चला कि दूध के वितरकों (डिस्ट्रीब्यूटर) द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा था. पूरे क्षेत्र को एक व्यापारी पस्टनजी एडुलजी द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था, जो पोलसन मक्खन का बाजार देखते थे.
दुग्ध सहकारी आंदोलन शुरू किया
किसानों के संघर्ष और उनके नेता त्रिभुवनदास पटेल के इस शोषण के खिलाफ लड़ने की कोशिश को देखकर, डॉ. कुरियन बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और त्रिभुवनदास पटेल और किसानों के साथ मिलकर क्षेत्र में मिल्क कोऑपरेटिव मूवमेंट (दुग्ध सहकारी आंदोलन) शुरू किया. इस मूवमेंट को कायरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (कायरा डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर यूनियन लिमिटेड ) के नाम से रजिस्टर किया गया था, जिसे बाद में बदल कर 'अमूल' कर दिया गया.
ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम
डॉ. कुरियन ने भारत में श्वेत क्रांति लाने के साथ ही 'ऑपरेशन फ्लड' कार्यक्रम की भी शुरुआत की. उनके नेतृत्व में, कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की गई, जिसमें GCMMF (गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड) और NDDB (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड) शामिल है. इन संस्थानों ने देशभर में डेयरी कोऑपरेटिव मूवमेंट को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पूरे देश में आनंद मॉडल की कोऑपरेटिव डेयरी का प्रचार किया.