नई दिल्ली : लुकआउट सर्कुलर को ही लुकआउट नोटिस भी कहा जाता है. दोनों का अर्थ एक ही होता है. इसे अलग-अलग एजेंसियां जारी करती हैं. इसका मकसद आपराधिक मामले में नामित शख्स को देश छोड़कर भागने से रोकना है.
लुक आउट सर्कुलर- यह सर्कुलर जिसके खिलाफ भी जारी होता है, उस व्यक्ति को देश छोड़कर बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है. यानी वह विदेश की यात्रा नहीं कर सकता है. उद्देश्य उसे विदेश भागने से रोकना है. इसलिए जब भी लुक आउट सर्कुलर जारी किया जाता है, तब सभी एयरपोर्ट्स (खासकर अंतरराष्ट्रीय), बंदरगाहों और समुद्री क्षेत्रों पर तैनात अधिकारियों को इसकी जानकारी दी जाती है. उन्हें इसका डिटेल उपलब्ध करवाया जाता है, ताकि अमुक व्यक्ति की तुरंत पहचान सुनिश्चित हो सके. वहां पर इमिग्रेशन अधिकारी तैनात रहते हैं. अगर वह व्यक्ति मिला, तो इमिग्रेशन अधिकारी उसे तुरंत गिरफ्तार कर सकते हैं.
लुक आउट सर्कुलर कोर्ट की इजाजत के भी जारी किया जा सकता है. अगर एजेंसियां कोर्ट जाकर यह बताए कि अमुक व्यक्ति पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा है और वह व्यक्ति संदिग्ध है, तो कोर्ट इसकी इजाजत प्रदान कर देता है. लुक आउट सर्कुलर संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी करता है. डीएम और एसपी भी इसे जारी कर सकते हैं. सीबीआई या ईडी के डेजिग्नेटेड अधिकारी को भी इसका पावर है. इंटरपोल के कुछ अधिकारियों को भी यह अधिकार दिया गया है. सरकारी बैंकों के अधिकारी भी अपने विलफुल डिफॉल्टर के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने की मांग कर सकते हैं.
आरोपी इस सर्कुलर या नोटिस को कोर्ट में चुनौती दे सकता है. वैसे, सर्कुलर जारी होने का मतलब गिरफ्तारी नहीं होती है. अगर एजेंसियां चाहे, तो शक या आशंका के आधार पर गिरफ्तार कर सकती हैं. जिस अधिकारी ने सर्कुलर जारी किया है, उसकी अनुशंसा के बाद ही इसे वापस लिया जा सकता है, या फिर कोर्ट इस सर्कुलर को खारिज कर सकती है.
संक्षेप में समझें तो