नई दिल्ली : एमओयू पर हस्ताक्षर होने के 10 साल बाद अगरतला-अखौरा प्रोजेक्ट का आज उद्घाटन कर दिया गया. एमओयू पर 2013 में हस्ताक्षर किया गया था. बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ऑनलाइन माध्यम से इसका उद्घाटन किया. आइए इस प्रोजेक्ट संबंधित कुछ अहम जानकारियों पर एक नजर डालते हैं.
कब हुआ ट्रायल - इस प्रोजेक्ट का ट्रायल रन सोमवार को पूरा हो गया था. इस दौरान चार वैगन से जुड़ा एक लोकोमोटिव इंजन त्रिपुरा पहुंचा. इसका गंतव्य निश्चिंतापुर रेलवे स्टेशन था. इस स्टेशन को हाल ही में बनाया गया था.
प्रोजेक्ट से जुड़ी खास बातें- कुल 15 किलोमीटर का यह रेलवे प्रोजेक्ट है. भारत की सीमा के अंदर पांच किलोमीटर और बांग्लादेश की सीमा से 10 किलोमीटर अंदर तक की कुल दूरी है. इस प्रोजेक्ट के पूरे हो जाने पर अगरतला और कोलकाता के बीच की दूरी घट जाएगी. इस रूट पर चलने वाली ट्रेन अगरतला और कोलकाता के बीच की दूरी को कवर करेगी, ट्रेन ढाका के रास्ते पहुंचेगी. अभी दोनों शहरों (अगरतला-कोलकाता) के बीच की दूरी 1600 किलोमीटर है और ट्रेन से इस दूरी को कवर करने में 38 घंटे लगते हैं. लेकिन नए रेल लिंक के खुलने के बाद इस दूरी को मात्र 10 घंटे में तय किया जा सकता है. साथ-साथ दोनों देशों के बीच फ्रेट के किराए में भी भारी बचत होगी. व्यापारियों के लिए यह एक सुखद पहलू है. लैंड लॉक्ड उत्तर पूर्वी भारत और बांग्लादेश के बंदरगाह चटगांव के बीच सीधी पहुंच सुनिश्चित हो जाएगी.
कब इस प्रोजेक्ट पर विचार किया गया था - सबसे पहले इसकी मांग 19वीं सदी में असम के चाय उद्योगों ने की थी. वे चाय निर्यात करने के लिए चटगांव बंदरगाह तक सीधी पहुंच चाहते थे. लेकिन तब से लेकर इस प्रोजेक्ट पर कभी भी गंभीरता से बातचीत नहीं की गई. कभी बातचीत की भी गई, तो उस पर कोई पहल नहीं की गई. पहली बार 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में इस प्रोजेक्ट को लेकर दोनों देशों के बीच औपचारिक सहमति बनी और समझौते पर हस्ताक्षर हुए. उस समय भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ही थीं.