वाराणसी : सनातन धर्म के पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा करके व्रत रखने का विशेष महत्व है. इन्हीं में से एक करवा चौथ का व्रत भी है. सुहागिनों में इस व्रत को लेकर काफी क्रेज रहता है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत रखा जाता है. करवा चौथ का व्रत रख महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. करवा चौथ कब पड़ेगा, चांद के दीदार कब होंगे, पूजन कैसे किया जाएगा, इन सभी बिंदुओं पर ज्योतिषविद ने जानकारियां दीं.
एक नवंबर को है करवा चौथ :ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि मंगलवार 31 अक्टूबर को रात्रि 9 बजकर 31 मिनट पर लगेगी. यह अगले दिन बुधवार, 1 नवम्बर को रात्रि 9 बजकर 20 मिनट तक रहेगी. चन्द्रोदय रात्रि 8 बजकर 05 मिनट पर होगा. फलस्वरूप बुधवार, 1 नवम्बर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा.
व्रत रखने की यह है विधि :ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि सुहागिनें प्रातः काल अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने देवी-देवता की आराधना के पश्चात् अखण्ड सौभाग्य, यश-मान, प्रतिष्ठा, सुख-समृद्धि, खुशहाली एवं पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ के व्रत का संकल्प लेती हैं. यह व्रत निराहार व निराजल रहते हुए किया जाता है. सौभाग्यवती महिलाएं कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सुख-समृद्धि व अखण्ड सौभाग्य के लिए व्रत-उपवास रखकर देवाधिदेव भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान श्रीगणेश एवं श्रीकार्तिकेय जी की पूजा- अर्चना करती हैं. करवा चौथ से सम्बन्धित वामनपुराण में वर्णित व्रत कथा का श्रवण करने का भी विधान है.