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उत्तरायण से दक्षिणायन होंगे सूर्य देव, जानें नियम और महत्व

कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2021 यानी आज है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार कर्क संक्रांति को छह महीने के उत्तरायण काल का अंत माना जाता है. साथ ही इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है, जो मकर संक्रांति तक चलती है. एक बार फिर सूर्य कर्क राशि में जा रहा है, ऐसे में इस दिन कर्क संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा.

kark sankranti
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Published : Jul 16, 2021, 12:08 AM IST

चंडीगढ़ : धार्मिक दृष्टि से कर्क संक्रांति काफी खास मानी जाती है. इस दिन सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश या गोचर करता है. सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश या गोचर करने को संक्रांति कहते हैं, अथवा यह जिस भी राशि में गोचर करता है, उसी नाम से संक्रांति जानी जाती है.

पंडित अजय तिवारी ने बताया कि इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करते हैं. इसीलिए इस दिन को कर्क संक्रांति कहा जाता है. सूर्य देव आषाढ़ मास में मिथुन राशि में आते हैं और श्रावण मास में मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य भगवान की पूजा अर्चना करने से वह प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

उत्तरायण से दक्षिणायन होंगे सूर्य देव.

ऐसे करें पूजा

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए. सूर्य देव पर जल अर्पित किया जाता है और सूर्य भगवान की तांबे या सोने की मूर्तियों की पूजा की जाती है. इसके अलावा लोग अपने पितरों के लिए वस्त्र और अन्य भी दान करते हैं. कर्क सक्रांति के दिन कई तीर्थ स्थानों पर भी लोग स्नान करने के लिए जाते हैं, जिसका खास महत्व है. इस दिन बहुत से लोग हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगा धाम और कुरुक्षेत्र जैसे तीर्थ स्थलों पर स्नान के लिए जाते हैं. इस दिन हवन यज्ञ भी किए जाते हैं.

पंडित अजय तिवारी ने बताया कि इस त्योहार को मनाने का एक और महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि सूर्य देव साल में 6 महीने दक्षिणायन में रहते हैं और 6 महीने उत्तरायण में रहते हैं. जब सूर्य देव उत्तरायण में होते हैं तभी उनकी पूजा-अर्चना की जाती है और उस पूजा-अर्चना का ही फल मिलता है और जब वे दक्षिणायन में होते हैं तब सूर्य भगवान की पूजा नहीं की जाती. कर्क संक्रांति के बाद वे उत्तरायण से दक्षिणायन में प्रवेश करते हैं, इसीलिए दक्षिणायन में प्रवेश से पहले उनकी पूजा की जाती है.


इन राशि वालों को करनी होगी विशेष पूजा
पंडित अजय तिवारी ने बताया कि इस समय तुला, वृश्चिक, कर्क और मिथुन राशि वालों पर शनिदेव की दशा बनी हुई है, इसलिए इन राशि के लोगों को शनिदेव की पूजा के साथ साथ कर्क संक्रांति के दिन सूर्य भगवान की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करना चाहिए, तभी उनकी राशि से शनि की दशा हटेगी.

इस तरह से कर्क संक्रांति का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. इसीलिए इस दिन बड़ी संख्या में लोग सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने पर सूर्य देव लोगों पर प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

नहीं होता शुभ कार्य

  • कर्क संक्रांति को किसी भी शुभ और नए कार्य के प्रारंभ के लिए शुभ नहीं माना जाता है.
  • धार्मिक मतों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है. इस समय काल में सभी देवी-देवता योग निद्रा में होते हैं.
  • दक्षिणायन से चातुर्मास का प्रारंभ होता है. ऐसे में कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, लगन, सगाई, मुंडन आदि न करने की सलाह दी जाती है.
  • इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित करें. संक्रांति में की गई सूर्य उपासना से दोषों का शमन होता है.
  • इस दिन आदित्य स्तोत्र एवं सूर्य मंत्र का पाठ करें. इस समय में शहद का प्रयोग लाभकारी माना जाता है.
  • कर्क संक्रांति पर कपड़े और खाने की चीजों खासतौर पर तेल के दान का विशेष महत्व है.

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