नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को अपने यूक्रेन के समकक्ष दिमित्रो कुलेबा के साथ द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के तौर-तरीकों पर उपयोगी बातचीत की और यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर विचारों का आदान-प्रदान किया. जयशंकर के 25 से 29 दिसंबर तक रूस के पांच दिवसीय दौरे के कुछ दिन बाद दोनों नेताओं की बीच फोन पर यह बातचीत हुई. रूस दौरे के दौरान जयशंकर ने वहां के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से व्यापक चर्चा की थी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की.
विदेश मंत्री ने एक्स पर कहा, 'यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा के साथ आज एक उपयोगी बातचीत. आने वाले वर्ष में हमारे द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा की. यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर विचारों का आदान-प्रदान किया.' वहीं, कुलेबा ने कहा कि उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष को शांति के फॉर्मूले और नेताओं के वैश्विक शांति शिखर सम्मेलन के लिए यूक्रेन की योजना से अवगत कराया.
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'मैंने अपने समकक्ष को रूस के आतंक में हाल ही में हुए इजाफे और बड़े पैमाने पर हवाई हमलों के बारे में सूचित किया, जिससे नागरिकों को पीड़ा हुई और जानमाल का नुकसान हुआ.' उन्होंने कहा, '2024 में मेरी पहली (फोन) कॉल यूक्रेन-भारत संबंधों पर डॉ. एस. जयशंकर के साथ थी. हमने शांति फॉर्मूले पर आगे के सहयोग पर चर्चा की. इस संबंध में, मैंने अपने समकक्ष को नेताओं के वैश्विक शांति शिखर सम्मेलन के लिए यूक्रेन के दृष्टिकोण के बारे में सूचित किया.'
कुलेबा ने कहा, 'हम निकट भविष्य में 2018 के बाद से भारत-यूक्रेन अंतर-सरकारी आयोग की पहली बैठक आयोजित करने पर सहमत हुए. यूक्रेनी विदेश मंत्री ने आगे कहा, हमारे द्विपक्षीय संबंधों के इस प्राथमिक तंत्र का कायाकल्प हमें व्यापक तरीके से संयुक्त रूप से आगे बढ़ने की अनुमति देगा.' यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लादीमिर जेलेंस्की ने संघर्ष को समाप्त करने के लिए 10-सूत्री 'शांति योजना' सामने रखी जिसमें युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करना, यूक्रेन से सभी रूसी सैनिकों को वापस भेजना और अपने देश की क्षेत्रीय अखंडता को बहाल करना शामिल था. भारत कहता रहा है कि यूक्रेन संकट को कूटनीति और बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए.
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