कुरुक्षेत्र: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने पंजाब और हरियाणा में बढ़ते वायु और भूमि प्रदूषण तथा गिरते भू-जल स्तर पर चिंता जताई. उन्होंने एनआईटी कुरुक्षेत्र से इसका तकनीकी समाधान निकालने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी केवल विज्ञान एवं इंजीनियरिंग का प्रतिफल नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक एवं राजनीतिक महत्व भी है तथा हमें सामाजिक न्याय के लिये प्रौद्योगिकी की सोच के साथ आगे बढ़ना होगा.
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) कुरुक्षेत्र के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान में सभी नागरिकों के लिए कुछ मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से एक वैज्ञानिक सोच एवं सुधार की भावना को विकसित करना है. इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने धर्मनगरी कुरुक्षेत्र की ऐतिहासिक, पौराणिक एवं धार्मिक धरा पर स्थित पवित्र तीर्थ स्थल ब्रह्मसरोवर के तट पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में मंत्रोच्चारण के बीच पूजा-अर्चना की और ब्रह्मसरोवर में नारियल का विसर्जन किया.
इसके बाद उन्होंने पुरुषोत्तमपुरा बाग पर स्थित भगवान श्री कृष्ण के विशाल रथ की प्रतिमा के नजदीक आयोजित हवन-यज्ञ में पवित्र धार्मिक ग्रंथ गीता पर पुष्प अर्पित किए और हवन-यज्ञ में पूर्णाहुति दी. इसके बाद उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष को समर्पित देवभूमि कुरुक्षेत्र के पुरुषोतमपुरा बाग में बनाया गया गीता मूर्ति शिल्प उद्यान का उद्घाटन किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ करते हुए हरियाणा सरकार के विकास कार्यों की जमकर प्रशंसा की.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी का शुभारंभ किया और भगवान श्रीकृष्ण का धन्यवाद किया कि हरियाणा में बतौर राष्ट्रपति उनकी पहली यात्रा का आरंभ धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र से हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस पावन गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर उन्हें आनंद की अनुभूति हो रही है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि कुरुक्षेत्र की भूमि पावन भूमि है. इसी सरस्वती के तट पर वेद और पुराणों को लिपिबद्ध किया गया. महाभारत में कुरुक्षेत्र के इस क्षेत्र की तुलना स्वर्ग से की गई है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक ने भी पवित्र ग्रंथ गीता से मार्गदर्शन प्राप्त किया था.