नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसने एक कार डीलर को एक भ्रामक विज्ञापन को लेकर सेवा में कमी के चलते 7.43 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था, और कहा कि डीलरों का हित वाहन विनिर्माता से अलग नहीं है.
शिकायतकर्ता ने देहरादून स्थित एबी मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड से फोर्ड फिएस्टा (डीजल) कार खरीदी थी और उन्होंने अपनी शिकायत में दावा किया कि फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 31.4 किमी प्रति लीटर के औसत माइलेज का दावा करते हुए अखबारों में एक भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित किया था, जबकि गाड़ी का वास्तविक माइलेज 15-16 किमी प्रति लीटर था.
उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम के सामने एक शिकायत दर्ज की, जिस पर सुनवाई के बाद डीलर के साथ विनिर्माता को वाहन की वापसी कर उन्हें 7,43,200 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया. इसके अलावा मुकदमे की लागत के रूप में 10,000 रुपये की राशि देने का आदेश भी दिया गया.