नई दिल्ली : मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच तनाव जारी है. इस बीच एक खुफिया रिपोर्ट में बड़े खतरे की आशंका जताई गई है. खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मणिपुर में घाटी-आधारित विद्रोही समूहों के लगभग 300 कैडर म्यांमार में हैं. ये आने वाले दिनों में हिंसा भड़काने के लिए मणिपुर में प्रवेश कर सकते हैं. फिलहाल ये लोग तातमाडॉ (म्यांमार सेना) की ओर से कूप विरोधी बलों से लड़ रहे हैं. ईटीवी भारत को मिली जानकारी के अनुसार, यदि इन लड़ाके समुहों को म्यांमार में सफलता मिल गई और वहां सेना का नियंत्रण स्थापित हो गया तो ये लोग भारत में प्रवेश कर सकते हैं.
मणिपुर में घाटी-आधारित विद्रोही समूह मूल रूप से Miitei समुदाय से हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि म्यांमार में कई कुकी आतंकवादी संगठन म्यांमार सेना के खिलाफ विद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि मैतई विद्रोही संगठन तातमाडॉ का समर्थन कर रहे हैं. वैली-आधारित आतंकवादी संगठनों जैसे यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलिपक (PREPAK), द रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट/पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (RPF/PLA), KANGLEY YAWOL KANNA LUP (KYKL) और KANGLIPAK कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) को पहले ही सरकार ने शांति वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन कोई सफलता नहीं मिल सकी.
इंटेलिजेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सभी-वैली आधारित आतंकवादी संगठन अभी भी म्यांमार में सक्रिय हैं. म्यांमार हमेशा से ही पूर्वोत्तर के अधिकांश विद्रोही संगठनों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल रहा है. जिनमें मणिपुर के कुकी आतंकवादी, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (उल्फा-इंडिपेंडेंट), नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM) शामिल हैं.
दूसरी ओर, 22 अगस्त, 2008 को, उग्रवादी समूहों के साथ एक राजनीतिक संवाद शुरू करने के उद्देश्य से संचालन (SOO) समझौते के निलंबन को सील कर दिया गया था. इसी दौरान कुकी संगठन जो पहले एक अलग कुकी राज्य की मांग कर रहे थे कुकिलैंड प्रादेशिक परिषद बनाने पर सहमत हो गये थे. लगभग 32 कुकी विद्रोही समूह मणिपुर में सक्रिय हैं जिनमें से 25 ने भारत सरकार और मणिपुर के साथ एक त्रिपक्षीय सू समझौता किया था.