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हिंसा भड़काने के लिए 300 से अधिक विद्रोही म्यांमार के रास्ते मणिपुर में कर सकते हैं घुसपैठ : खुफिया रिपोर्ट

इंटेलिजेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर घाटी में आतंकवादी संगठन सक्रिय हो रहे हैं. इनमें ज्यादातर म्यांमार से संचालित होते हैं. बता दें कि अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर सहित चार पूर्वोत्तर राज्य म्यांमार के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं. भारत और म्यांमार आपस में कुल 1,624 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं जिसमें मणिपुर से लगी हुई सीमा करीब 398 किमी लंबी है. पढ़ें ईटीवी भारत के लिए गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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Published : Aug 12, 2023, 9:26 AM IST

नई दिल्ली : मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच तनाव जारी है. इस बीच एक खुफिया रिपोर्ट में बड़े खतरे की आशंका जताई गई है. खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मणिपुर में घाटी-आधारित विद्रोही समूहों के लगभग 300 कैडर म्यांमार में हैं. ये आने वाले दिनों में हिंसा भड़काने के लिए मणिपुर में प्रवेश कर सकते हैं. फिलहाल ये लोग तातमाडॉ (म्यांमार सेना) की ओर से कूप विरोधी बलों से लड़ रहे हैं. ईटीवी भारत को मिली जानकारी के अनुसार, यदि इन लड़ाके समुहों को म्यांमार में सफलता मिल गई और वहां सेना का नियंत्रण स्थापित हो गया तो ये लोग भारत में प्रवेश कर सकते हैं.

मणिपुर में घाटी-आधारित विद्रोही समूह मूल रूप से Miitei समुदाय से हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि म्यांमार में कई कुकी आतंकवादी संगठन म्यांमार सेना के खिलाफ विद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि मैतई विद्रोही संगठन तातमाडॉ का समर्थन कर रहे हैं. वैली-आधारित आतंकवादी संगठनों जैसे यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलिपक (PREPAK), द रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट/पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (RPF/PLA), KANGLEY YAWOL KANNA LUP (KYKL) और KANGLIPAK कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) को पहले ही सरकार ने शांति वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन कोई सफलता नहीं मिल सकी.

इंटेलिजेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सभी-वैली आधारित आतंकवादी संगठन अभी भी म्यांमार में सक्रिय हैं. म्यांमार हमेशा से ही पूर्वोत्तर के अधिकांश विद्रोही संगठनों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल रहा है. जिनमें मणिपुर के कुकी आतंकवादी, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (उल्फा-इंडिपेंडेंट), नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM) शामिल हैं.

दूसरी ओर, 22 अगस्त, 2008 को, उग्रवादी समूहों के साथ एक राजनीतिक संवाद शुरू करने के उद्देश्य से संचालन (SOO) समझौते के निलंबन को सील कर दिया गया था. इसी दौरान कुकी संगठन जो पहले एक अलग कुकी राज्य की मांग कर रहे थे कुकिलैंड प्रादेशिक परिषद बनाने पर सहमत हो गये थे. लगभग 32 कुकी विद्रोही समूह मणिपुर में सक्रिय हैं जिनमें से 25 ने भारत सरकार और मणिपुर के साथ एक त्रिपक्षीय सू समझौता किया था.

इस ऑपरेशन समझौते के निलंबन की अवधी एक साल थी जिसे बाद में साल दर साल बढ़ाया जाता रहा. एसओओ समझौते के कुशल कार्यान्वयन की देखरेख करने के लिए प्रत्येक हस्ताक्षरकर्ता के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त निगरानी समूह (जेएमजी) स्थापित किया गया था. समझौते के अनुसार, यूपीएफ और केएनओ को भारत के संविधान, भूमि के कानून और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता का पालन करना था. फरवरी 2023 में भी सू समझौते को एक और वर्ष के लिए बढ़ाया गया था.

वरिष्ठ सुरक्षा विशेषज्ञ और ब्रिगेडियर (retd) बीके खन्ना ने कहा कि चल रही हिंसा में मैतेई उग्रवादियों के शामिल होने की आशंकाओं वाली रिपोर्ट एक अस्थिर संकेत है. उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है कि तीन महीने के बाद भी, कुकी और मैतेई के बीच संघर्ष अभी भी जारी है.

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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पूरी तरह से हाथ से बाहर जाने से पहले स्थिति पर नियंत्रण करना चाहिए. ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि सरकार को सेना की खुली छुट देते हुए वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को बर्खास्त कर देना चाहिए. बता दें कि जब से राज्य में हिंसा शुरू हुई है तब से ही कुकी सिविल सोसाइटी के संगठन और यहां तक कि कुकी-ज़ो सिटिंग विधायक मणिपुर में एन बिरन सिंह सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिंह, जो खुद एक मैतेई हैं, कुकी समुदाय पर हमला करने में मैतेई मिलिशिया का समर्थन कर रहे हैं.

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