हैदराबाद : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress president Mallikarjun Kharge) ने मणिपुर हिंसा, हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों में सांप्रदायिक तनाव की हालिया घटनाओं का उल्लेख करते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि देश गंभीर आंतरिक चुनौतियों से घिरा है और भारतीय जनता पार्टी आग में घी डालने का काम कर रही है. उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में अपने शुरुआती संबोधन के दौरान संसद के विशेष सत्र को लेकर दावा किया कि सत्तारूढ पार्टी विपक्ष विहीन संसद चाहती है और ऐसे में उसकी मंशा को लेकर सतर्क रहना होगा.
खड़गे ने कई विपक्षी नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया की पिछली तीन बैठकों की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के नेता लगातार हमले कर रहे हैं. खड़गे ने कहा कि सरकार को 2021 की जनगणना और इसके साथ ही जातिगत जनगणना करानी चाहिए, ताकि कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा कानून और अन्य योजनाओं को लेकर पूरा अधिकार मिल सके.
उन्होंने कहा, 'आज देश कई गंभीर आंतरिक चुनौतियों से जूझ रहा है. मणिपुर की दिल दहला देने वाली घटनाओं को पूरी दुनिया ने देखा. 3 मई 2023 से वहां हिंसा आज भी जारी है. मणिपुर की आग को मोदी सरकार ने हरियाणा में नूंह तक पहुंचने दिया. यहां हिंसा की वारदातें हुईं, जिस कारण राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव फैला.' खड़गे ने कहा कि घटनाएं आधुनिक, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष भारत की छवि पर धब्बा लगाती हैं.
उन्होंने आरोप लगाया, 'ऐसे हालात में सत्ताधारी दल, सांप्रदायिक संगठन और मीडिया का एक वर्ग, आग में घी डालने का काम कर रहा है.' कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'हमें मिलकर ऐसी ताक़तों की पहचान करके उन्हें बेनक़ाब करते रहना है.' उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आंकड़ों की हेराफ़ेरी कर रही है तथा 2021 की जनगणना नहीं कराने से 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा अधिनियम से और करीब 18 प्रतिशत लोग मनरेगा से बाहर हो गए हैं.
संसद के विशेष सत्र का उल्लेख करते हुए खड़गे ने कहा, 'आप सबको पता है कि 18 सितंबर से मोदी सरकार ने 5 दिनों का संसद का विशेष सत्र बुलाया है. लंबे संशय के बाद चंद बातें एजेंडे के तौर पर आयी हैं, जिसमें प्रमुख है चुनाव आयोग पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण, परंतु हमें सत्तारूढ़ दल की मंशा को लेकर सतर्क रहना होगा.' उन्होंने आरोप लगाया, 'यह सरकार विपक्ष विहीन संसद चाहती है. वो नहीं चाहती है कि उससे कोई सांसद, मीडिया या आम लोग सवाल पूछें.'